उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

FOLLOW UP: रानीपोखरी पुल पर बनाई जा रही सुरक्षा दीवार, आवाजाही पूरी तरह बंद - रानीपोखरी पुल की ताजा खबर

ऋषिकेश-देहरादून हाईवे पर 27 अगस्त को रानीपोखरी पुल टूटकर ध्वस्त हो गया था. इसके चलते इस मार्ग पर आने जाने वाले लोगों को अब काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

Ranipokhari bridge collapse
Ranipokhari bridge collapse

By

Published : Aug 28, 2021, 2:43 PM IST

Updated : Aug 28, 2021, 9:20 PM IST

डोईवाला: उत्तराखंड के ऋषिकेश-देहरादून हाईवे पर कल रानी पोखरी पुल टूटकर ध्वस्त हो गया था. इसके चलते इस मार्ग पर आने जाने वाले लोगों को अब काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. पुल का एक हिस्सा गिर जाने के बाद अब प्रशासन ने पुल पर आवाजाही को पूरी तरह से बंद कर दिया है. साथ ही जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर बैरिकेडिंग लगाकर आवाजाही रोक दी गई है.

ये पुल इसलिए भी महत्वपूर्ण था क्योंकि ये गढ़वाल क्षेत्र को देहरादून से जुड़ता था. हालांकि अब गढ़वाल क्षेत्र से आने वाले लोगों को देहरादून जाने के लिए नेपाली फार्म होते हुए आना पड़ेगा. वहीं, ऋषिकेश से जौलीग्रांट एयरपोर्ट आने के लिए भी लोगों को इसी मार्ग से आना पड़ेगा.

क्या हैं ताजा हालात: फिलहाल, अब पुल के बाहर बैरिकेडिंग के बाद दोनों तरफ पक्की दीवार बनाई जा रही है और दोनों ओर पुलिस की तैनाती कर दी गई है, जिससे कोई भी वहां प्रवेश न कर पाए. लोक निर्माण विभाग और नेशनल हाईवे के अधिकारी भी मौके पर मौजूद हैं और पुल को ठीक करने का काम हो रहा है.

रानीपोखरी पुल टूटने के बाद आवाजाही पूरी तरह बंद.

लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता राकेश केलखुरा ने बताया कि 1964 में बने इस पुल के 86 पिलर में से सात पिलर बह गए हैं. इसका एक बड़ा कारण खनन भी है, जिस वजह से पुल की जड़ें कमजोर हुई हैं और एनएच द्वारा नए पुल निर्माण का कार्य प्रस्तावित है.

एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में किया था खुलासा: गौर हो कि ईटीवी भारत ने अपनी एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में पुल के नीचे से खनन होने का खुलासा किया था. दरअसल, ईटीवी भारत के पास दिसंबर 2020 की कुछ ऐसी तस्वीरें हैं, जो रानीपोखरी पुल के टूटने के कारण को पुख्ता कर रही है. लोक निर्माण विभाग की ओर से पुल को बचाने के लिए ब्लॉक और सुरक्षा दीवार बनाई गई थी. इसके लिए खनन सामग्री पुल के नीचे से ही उठाई गई थी. अब भले ही जांच की बात की जा रही हो, लेकिन एक साल पहले ही ठेकेदारों ने पुल की नींव हिला डाली थी.

पढ़ें:ऋषिकेश: विभागीय लापरवाही लोगों के जान पर पड़ रही भारी, पेड़ों के पातन की नहीं मिली परमिशन

आवाजाही में बढ़ी दिक्कतें: वहीं, पुल के धराशायी होने के बाद कई गांवों का देहरादून से संपर्क हट गया है. रानीपोखरी, भोगपुर, घमंडपुर आदि दर्जन गांव ऐसे हैं, जिन्हें अब डोईवाला या फिर देहरादून जाने के लिए कई किलोमीटर मीटर की दूरी तय कर नेपाली फार्म से होकर आना पड़ेगा. वहीं, पौड़ी, टिहरी, चमोली आदि पहाड़ी मार्गों से आने वालों के लिए देहरादून या जौलीग्रांट एयरपोर्ट से भी भानियावाला वाया छिद्दरवाला से होकर ऋषिकेश जाना पड़ेगा. देहरादून से रानीपोखरी और ऋषिकेश को आने वाले लोगों को भानियावाला-हरिद्वार बाईपास नेपाली फार्म से होकर ऋषिकेश भेजा जा रहा है. गौर हो कि पुल के गिरने के बाद मुख्यमंत्री ने इस घटना को गंभीरता से लिया है और जांच के आदेश कर दिए हैं.

पढ़ें:Exclusive: रानीपोखरी पुल के नीचे चल रहा था 'खेल', तस्वीरों में देखें पुल टूटने का सच

कैसे हुआ था हादसा: दरअसल, नदी में बीते दिन से ही भारी मात्रा में पानी आ रहा था. पुल के दोनों किनारों पर पानी जोर से टकरा रहा था. नदी के तेज प्रवाह के कारण पुल के बीच में लगे पुश्ते क्षतिग्रस्त हो गए और पुल ढह गया. ऋषिकेश और देहरादून के मध्य रानीपोखरी में वर्ष 1964 में लोक निर्माण विभाग की ओर से टू लेन पुल का निर्माण कराया गया था. 57 वर्ष पुराना यह पुल ओपन फाउंडेशन पर निर्मित किया गया था. 27 अगस्त की दोपहर जाखन नदी में आई बाढ़ से पुल के दोनों और पिलर क्षतिग्रस्त हो गए थे.

हरदा ने उठाए सवाल: वहीं, रानीपोखरी में पुल टूटने को लेकर पूर्व सीएम हरीश रावत ने सवाल उठाए हैं. हरदा ने भी पुल ढहने की घटना को खनन से जोड़ते हुए भाजपा सरकार को आड़े हाथों लिया है. उन्होंने पुल गिरने की जांच किसी बाहरी एजेंसी से कराने की मांग की है.

खनन के कारण टूटा पुल: हरीश रावत का कहना है कि रानीपोखरी का यह पुल काफी मजबूत और पुराना था, जो टूट गया. इसके ढहने के दो ही कारण हो सकते हैं. या तो पुल के चारों तरफ अवैध खनन हो रहा था, या फिर इस पुल की सेफ्टी ऑडिट नहीं हुई. लेकिन जहां तक लगता है कि यह पुल खनन के कारण टूटा है.

बाहरी एजेंसी से जांच की मांग: उन्होंने कहा कि इसी प्रकार एक पुल पहले भी गौला में ढहा था और इसके अलावा बहुत सारी पुलों को जो क्षति पहुंची है, उसमें ज्यादातर क्षेत्र में हो रहे खनन के मामले सामने आए हैं. रानी पोखरी पुल का गिरना भी इस बात को दर्शाता है कि भाजपा राज में खनन का बोलबाला है. यह उसकी एक बानगी है. ऐसे में इस पुल की जांच किसी बाहरी एजेंसी से कराई जानी चाहिए.

पुल टूटने का कारण पता चले: उन्होंने कहा कि इस पुल के गिरने की जांच इंजीनियर कर रहे हैं, जो केवल आईवॉश ना हो. इसलिए बेहतर होगा कि इसकी जांच उत्तर प्रदेश से बाहर की किसी एजेंसी से करवाई जाए. ताकि यह तो पता चल सके कि आखिर इस पुल टूटने का कारण क्या था. अगर इस पुल के गिरने का कारण खनन है, तो एक बार जितने खनन पट्टे पुलों के नजदीक दिए गए हैं. उन पर पुनर्विचार किया जाना जरूरी है.

Last Updated : Aug 28, 2021, 9:20 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details