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उत्तराखंड के शिक्षा निदेशालय के गेट पर शिक्षकों ने जड़ा ताला, लोकसभा चुनाव से किया किनारा - उत्तराखंड शिक्षा निदेशालय

Lockout in Education Directorate उत्तराखंड में शिक्षा निदेशालय के गेट पर शिक्षकों ने तालाबंदी की. शिक्षकों ने उनकी 33 मांगों पर कोई कार्रवाई ना होने पर प्रदर्शन किया है. इसके अलावा शिक्षकों ने लोकसभा चुनाव से भी किनारा कर दिया है.

Uttarakhand Education Directorate
उत्तराखंड शिक्षा निदेशालय

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Nov 6, 2023, 8:37 PM IST

Updated : Nov 6, 2023, 10:26 PM IST

उत्तराखंड के शिक्षा निदेशालय के गेट पर शिक्षकों ने जड़ा ताला

देहरादूनःउत्तराखंड में आज राजकीय शिक्षक संघ के आह्वान के बाद शिक्षा निदेशालय में तालाबंदी की गई. इससे पहले शिक्षकों को ऐसा ना करने के लिए कई बार बैठकों का दौर चलाया गया. लेकिन शिक्षक नहीं माने और आज शिक्षकों ने निदेशालय में किसी को नहीं घुसने दिया. शिक्षकों ने निदेशालय में ताला लगाकर उसके आगे धरना प्रदर्शन किया. खास बात यह है कि अब इस आंदोलन को आगे बढ़ाते हुए शिक्षकों ने एक तरफ शिक्षण कार्य के अलावा कोई भी दूसरा काम नहीं करने का ऐलान कर दिया है. दूसरी तरफ लोकसभा चुनाव में भी शिक्षकों द्वारा मतदान नहीं करने की घोषणा कर दी गई है.

शिक्षा विभाग में शिक्षक संघ का विभाग और सरकार के साथ चल रही नोकझोंक आखिरकार तालाबंदी तक आ पहुंची है. राजकीय शिक्षक संघ ने आज अपने पूर्व तय कार्यक्रम के अनुसार शिक्षा निदेशालय में तालाबंदी की. इस दौरान शिक्षकों ने निदेशालय के आगे बैठकर धरना प्रदर्शन किया. बड़ी बात यह है कि शिक्षकों ने अब भविष्य में शिक्षण कार्य के अलावा कोई भी दूसरा काम नहीं करने का ऐलान कर दिया है.

अधिकारियों के खिलाफ दर्ज कराएंगे मुकदमा: दरअसल, शिक्षक ना केवल शिक्षा विभाग में विभागीय कार्यों को भी कर रहा है. बल्कि बीएलओ की ड्यूटी करने से लेकर तमाम कार्यक्रमों और दूसरी ड्यूटी भी उनसे करवाई जा रही है. ऐसे में शिक्षकों ने सीधे तौर पर यह ऐलान कर दिया है कि यदि अब शिक्षकों से जबरन कोई अधिकारी शैक्षणिक कार्य के अलावा कोई दूसरा कार्य करवाता है तो ऐसे अधिकारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया जाएगा. इतना ही नहीं, शिक्षक संघ ने आगामी लोकसभा चुनाव के दौरान शिक्षकों द्वारा मतदान नहीं किए जाने की भी घोषणा कर दी है.
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शिक्षा मंत्री ने दिया था आश्वासन:राजकीय शिक्षक संघ की तरफ से यह आंदोलन पूर्व से ही प्रस्तावित था और शिक्षक संघ ने अपनी 35 सूत्रीय मांगे सरकार के सामने रखी थी. हालांकि, दो मांगों को सरकार ने पूरी ना कर पाने की बात कहकर मांग पत्र से हटवा दिया था. लेकिन इसके अलावा भी बाकी 33 मांगों पर सरकार की तरफ से अब तक कोई भी निर्णय नहीं लिया जा सका है. राजकीय शिक्षक संघ का आरोप है कि शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने इन मांगों को पूरा करने के लिए आश्वासन दिया था. लेकिन यह सभी आश्वासन झूठ साबित हुए हैं.

ये है मांगें: राजकीय शिक्षक द्वारा रखी गई मांगों में सहायक अध्यापकों से प्रवक्ता पदों पर जल्द से जल्द पद्धति की कार्रवाई किए जाने, माध्यमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक के रिक्त पदों पर भी पदोन्नति करने, शिक्षा संवर्ग की नियमावली बनाकर शीघ्र गठन करने, पूर्व में दिए जाने वाले यात्रा अवकाश को दोबारा बहाल करने जैसी मांग रखी गई है. इसके अलावा 5400 का ग्रेड पे लेने वाले शिक्षकों को राज्यपत्रित घोषित किए जाने, वन टाइम सेटलमेंट के आधार पर अंतर मंडलीय स्थानांतरण किए जाने और एलटी संवर्ग को राज्य संवर्ग घोषित किए जाने की भी मांग की गई है.
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17 नवंबर को विरोध करेंगे तेज: शिक्षकों ने आने वाले दिनों में अपने विरोध को और भी तेज करने की बात कही है और 17 नवंबर से सभी तरह के प्रशिक्षण तथा दूसरी सरकारी सूचनाओं का भी विरोध करने का ऐलान किया है. शिक्षकों के आक्रामक रुख को देखते हुए जल्द ही शासन स्तर पर इसके लिए कोई बैठक हो सकती है. उम्मीद की जा रही है कि शिक्षकों को उनकी मांगों को लेकर मनाने की अभी प्रयास चल रहे हैं.

Last Updated : Nov 6, 2023, 10:26 PM IST

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