ऋषिकेशःतीर्थनगरी में संतों को उनके घरों से निकालने का मामला सामने आया है. जिससे उनमें भारी नाराजगी है. दानदाताओं द्वारा स्वर्ग आश्रम ट्रस्ट को संतों के लिए दी गई भूमि पर रहकर भजन कीर्तन करने वालों को बाहर किया जा रहा है. ट्रस्ट की इस कार्रवाई से साधु संतों में रोष उत्पन्न हो गया है. जिससे संत अपनी कंठी माला व कमंडल त्यागकर आंदोलन करने के लिए विवश हो रहे हैं.अखिल भारतीय संत समिति, ऋषिकेश के संरक्षक महंत अखंडानंद ने कहा कि यदि स्वर्ग आश्रम ट्रस्ट द्वारा संतों पर इसी प्रकार अत्याचार किए गए तो तमाम संत स्वर्ग आश्रम ट्रस्ट के विरुद्ध आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे, जिसे लेकर शीघ्र संतों की एक बैठक बुलाई जा रही है.
स्वर्ग आश्रम ट्रस्ट पर संतों ने लगाए आरोप. उनका कहना था कि एक संत दुर्गानंद सरस्वती पिछले कई वर्षों से स्वर्ग आश्रम ट्रस्ट की कुटिया नंबर 25 में रहकर भजन कीर्तन कर रहे थे. उन्हें ट्रस्ट के कर्मचारियों ने जबरन बाहर निकालकर उनकी कुटिया को किसी अन्य संतों को दे दी है.
उनका कहना था कि संत दुर्गानंद को स्वर्ग आश्रम ट्रस्ट द्वारा भजन कीर्तन करने के लिए सिर्फ कुटिया की भूमि दी गई थी. उक्त भूमि पर स्वामी दुर्गानंद द्वारा अपनी जीवन भर की भिक्षा की संपूर्ण धनराशि 7 लाख से एक कुटिया का निर्माण करवाया. जिसमें एक कमरा, बैठक एवं शौचालय का निर्माण किया गया था.
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि स्वर्ग आश्रम ट्रस्ट के मैनेजर जेके झा द्वारा षड्यंत्र रचकर उनके खिलाफ अनर्गल आरोप लगाकर उनसे जबरन कुटिया खाली करवाई गई और अन्य संतों को पक्ष में न बोलने पर कुटिया खाली कराने की धमकी दी गई. साथ ही पैसे लेकर कुटिया दूसरों को अलॉट किया जा रहा है.
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जिससे साधुओं में भय बना है. इसी के चलते स्वामी दुर्गानंद सरस्वती दर-दर भट रहे हैं. वे कई बार स्वर्ग आश्रम ट्रस्ट के प्रबंधक से मिले और उन्होंने गुहार लगाई कि उनकी किसी प्रकार की कोई गलती नहीं है. उन पर बेबुनियाद आरोप लगाकर उनसे कुटिया छीन ली गई और उन्हें वहां से खदेड़ कर भगा दिया गया.
संतों का कहना है कि इसमें स्वामी गुरुशरण मिश्रा को ढाल बनाकर मैनेजमेंट मलाई खा रहा है और बिरला परिवार तक शिकायत नहीं पहुंचने दिया जाता है. ट्रस्ट अपने मूल सिद्धांत स्वामी आत्मप्रकाश की प्रेरणा से भटक गया है. इसी कारण इस कार्रवाई के विरुद्ध तमाम संतों में रोष देखा जा रहा है. जिसके खिलाफ आंदोलन किया जाएगा. अखिल भारतीय संत समिति के सचिव स्वामी अखंडानंद ने कहा कि संतों, मठ, मंदिरों और आश्रम के मूल उद्देश्यों की रक्षा के लिए वे कटिबद्ध हैं.