देहरादून: राष्ट्रीय परिवार और स्वास्थ्य सर्वेक्षण (National Family and Health Survey) की रिपोर्ट अनुसार अब भारत में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की संख्याओं में इजाफा (Increase in the number of women) हुआ है. बुधवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Union Health Ministry) ने रिपोर्ट जारी किया, जिसके अनुसार राज्य की जनसंख्या के हिसाब से प्रति हजार पुरुषों पर कुल 1016 महिलाएं (1016 females per thousand males) हैं. जहां शहरी क्षेत्रों में ये आंकड़ा 943 है तो ग्रामीण क्षेत्रों में 1052 महिलाएं प्रति हजार पुरुष हैं. पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में महिलाओं की संख्या बढ़ना अच्छी खबर है, लेकिन इसी के साथ इस रिपोर्ट में कई ऐसे पहलू हैं, जो चिंता का विषय भी हैं.
नवजात लिंगानुपात में कमी: रिपोर्ट में पिछले पांच साल (2016-2021) के बीच बच्चों के जन्म का लिंगानुपात (sex ratio at birth) प्रति हजार लड़के 984 लड़कियां हैं. शहरी क्षेत्रों में हजार लड़कों में 1094 लड़कियों का अनुपात है जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति हजार लड़कों पर 937 लड़कियां हैं. सरकार की सख्ती की वजह से भ्रूण परीक्षण (embryo test) और भ्रूण हत्या (feticide) के मामलों में कमी आई है. केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से बुधवार को जनसंख्या, प्रजनन, बाल स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, पोषण और अन्य के साथ-साथ 14 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 2019-21 एनएफएचएस-5 के चरण दो के तहत प्रमुख संकेतकों की फैक्टशीट जारी की गई है.
इन राज्यों में किया गया सर्वे: स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार इस चरण में जिन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का सर्वेक्षण किया गया, उनमें अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा, पुडुचेरी, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, हरियाणा, झारखंड, मध्य प्रदेश, दिल्ली के एनसीटी, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड शामिल हैं.
उत्तराखंड में भी पुरुषों से ज्यादा महिलाएं: बात अगर उत्तराखंड की करें तो रिपोर्ट के मुताबिक, जनसंख्या के हिसाब से यहां प्रति 1000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या 1016 है. इस रिपोर्ट में प्रदेश में महिलाओं की सारक्षता दर में सुधार देखा जा रहा है. एनएचएफएस 2015-16 में सारक्षता दर 76.5 के अपेक्षा NFHS-5 (2020-21) में बढ़कर 79.8 हुई है. वहीं, महिलाओं के प्रजनन दर में कमी आई है, जो 2.1 से घटकर 1.9 हो गई है. वहीं, नवजात मृत्यु दर में बढ़ोतरी हुई है. 2015-16 के रिपोर्ट के अपेक्षा 2020-21 में मृत्यु दर 27.9 से बढ़कर 32.4 हो गई है.