ऋषिकेश:लंपी वायरस ने ऋषिकेश क्षेत्र में भी पैर पसार लिए हैं. 45 दिन में ही 7 गायों की इस संक्रमण से मौत हो चुकी है. जबकि, करीब 130 मवेशी लंपी से ग्रसित हैं. पशु चिकित्सकों का दावा है कि 170 मवेशी संक्रमण होने के बाद इलाज से ठीक भी हुए हैं, लेकिन फिलहाल यह संक्रमण थमने का नाम नहीं ले रहा है.
हालात ऐसे हैं कि हर रोज स्थानीय चिकित्सालय में लंपी से ग्रसित मवेशियों के इलाज के लिए लोग पहुंच रहे हैं. निराश्रित पशुओं के इलाज के लिए लगातार चिकित्सकों के फोन घनघना रहे हैं. चिकित्सकों के मुताबिक वह हर वक्त संक्रमित पशुओं के इलाज के लिए काम कर रहे हैं. मुसीबत यह है कि संक्रमित होने के बाद चिकित्सक बचाव के लिए मवेशी को बेहद महत्वपूर्ण टीका गोट पॉक्स वैक्सीन (goat pox vaccine) नहीं दे सकते हैं. यहां तक कि, संक्रमित मवेशी के एक किलोमीटर के दायरे में भी यह दवा नियनानुसार नहीं दी जा सकती है.
ऋषिकेश में लंपी वायरस से 7 गायों की मौत. लिहाजा, ऐसे में संक्रमित पशु का इलाज बुखार होने पर पैरासीटामोल, पेन किलर, एंटीबायोटिक और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने को मिनरल मिक्सचर के जरिए ही किया जा रहा है. पशु चिकित्साधिकारी अमित वर्मा की मानें तो इससे भी मवेशियों के स्वस्थ होने की संभावना कई गुना ज्यादा बढ़ जाती है. बताया कि संक्रमण के दौरान होने वाली दिक्कत से तो उन्हें राहत मिलती ही है. उदाहरण के तौर अभी तक पंजीकृत संक्रमित करीब 300 मवेशियों में से 170 को इलाज से ही ठीक भी किया जा चुका है.
दिलचस्प यह भी है कि किसी भी तरह के संक्रमण से बचाव के लिए ऋषिकेश क्षेत्र में पशु चिकित्सालय में तैनात डॉक्टर और स्टाफ ने करीब 2400 मवेशियों का टीकाकरण किया था. बावजूद, संक्रमण के मामले फिर भी सामने आ रहे हैं. इसपर चिकित्सक यह कहने की स्थिति में नहीं हैं कि क्या यह वही संक्रमित पशु हैं, जिन्हें टीका लगाया गया था और ठीक होने वाले पशु वह हैं, जिनका टीकाकरण किया गया था. वहीं, संक्रमण के बढ़ते आंकड़ों से मवेशी पालक खौफ में नजर आ रहे हैं.
गाय के लिए बकरी का टीका: लंपी वायरस से ज्यादातर संक्रमण गायों में ही सामने आया है. लिहाजा, अभी तक उन्हें इस तरह की बीमारी में बकरी को लगने वाले गोट पोक्स का टीका बचाव के लिए लगाया जा रहा है. यह टीकारण भी संक्रमण होने के बाद नहीं लगाया जा रहा है. कारण, संक्रमण में टीकाकरण नहीं किया जा सकता है. लिहाजा, प्राथमिक तौर पर दवाओं और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने से जुड़ी दवा दी जा रही है. हालत में सुधार होने के बाद टीकाकरण की बात पशु चिकित्सकों ने कही है. पशु चिकित्साधिकारी अमित वर्मा के अनुसार गोट पोक्स टीका बकरी के इलाज में यूज किया जाता है. गायों के लिए अभीतक इस तरह की कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है.
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दफनाने के लिए फिलहाल कोई स्थान चिह्नित नहीं:लंपी वायरस से मौत होने पर फिलहाल नगर निगम प्रशासन ने दफनाने के लिए कोई स्थान नगर क्षेत्र में चिह्नित नहीं किया गया है. स्थानीय लोगों के बताए अनुसार खाली स्थानों पर फिलहाल संक्रमित मवेशियों के शवों का दफनाया जा रहा है. यह जानकारी सहायक नगर आयुक्त रमेश रावत ने दी है. उन्होंने बताया कि एसडीएम शैलेंद्र सिंह नेगी (SDM Shailendra Singh Negi) की ओर से इस बाबत स्थान उपलब्ध कराने का वन विभाग के अधिकारियों से वार्ता चल रही है. फिलहाल, आबादी से दूर खाली जगहों पर मवेशियों का दफनाया जा रहा है. निगम प्रशासन की पूरी टीम संक्रमित पशुओं के बचाव के लिए हर मुमकिन कोशिश करने में जुटी है.
क्या है लंपी वायरस:लंपी स्किन डिजीज को गांठदार त्वचा रोग वायरस भी कहा जाता है. पशु चिकित्साधिकारी डॉ शैलेंद्र वशिष्ठ (Veterinary Officer Dr Shailendra Vashisht)के मुताबिक यह एक संक्रामक बीमारी है, जोकि एक पशु से दूसरे में होती है. संक्रमित पशु के संपर्क में आने से इससे दूसरा पशु भी ग्रसित हो सकता है. इस वायरस का संबंध गोट फॉक्स और शीप पॉक्स से है. इससे मवेशियों में बुखार समेत कई तरह की दिक्कतें पैदा हो जाती हैं. ज्यादातर शरीर पर गांठे बन जाती हैं. बाहरी शरीर के साथ नाके भीतर के साथ जननांगन पर गांठे हो जाती है. गांठों का साइज दो से सात सेंटीमीटर तक हो सकता है. इससे पशु परेशान होता है और पैरों में है, तो चलने और उठने बैठने में दिक्कत होती है. दस्त और थनेला आदि भी हो सकता है. संक्रमण के चलते दुग्ध उत्पादन पर भी असर पड़ता है. खासकर मक्खी-मच्छर वाहक के रूप में संक्रमण को फैला सकते हैं. ऐसे में साफ-सफाई बेहद जरूरी है. संक्रमण लक्षण दिखने पर पशु चिकित्सक की सलाह जरूर लें.
लंपी वायरस के लक्षण
- संक्रमित पशु को बुखार आना
- पशु के शरीर पर गांठे बनना
- पशुओं के वनज में एकाएक कमी
- आखों से पानी टपकना
- लार बहना, दूध कम देना
- भूख न लगना
ऐसे करें बचाव
- संक्रमित पशु को अलग रखें
- गौशाला व अन्य स्थान की नियमित साफ-सफाई
- मक्खी और मच्छरों को भागने के संबंधित इंतजाम करें
- पशुओं को चिकित्सकों की सलाह पर दवा दें