देहरादून:उत्तराखंड शिक्षा विभाग ने संस्कृत शिक्षा की अनिवार्यता को लेकर शासनादेश जारी कर दिया है. शासनादेश जारी होने के बाद अब कक्षा 3 से आठवीं तक के भी छात्र-छात्राओं को संस्कृत पढ़नी जरूरी होगी. शासनादेश जारी होने के अब अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों को भी संस्कृत विषय पढ़ाना अनिवार्य होगाा.
उत्तराखंड की सरकारी स्कूलों में ही नहीं बल्कि सीबीएसई और आईसीएसई विद्यालयों में भी अब छात्रों को संस्कृत पढ़नी होगी. शिक्षा विभाग ने इसके मद्देनजर शासनादेश जारी कर दिया. शासनादेश में सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड के अंतर्गत संचालित विद्यालयों समेत बाकी सभी विद्यालयों में भी कक्षा 3 से 8 तक अनिवार्य रूप से संस्कृत विषय पढ़ाए जाने के निर्देश दिए गए हैं.
पढ़ें- उत्तराखंडः पंचायत चुनाव को लेकर सभी तैयारियां पूरी, जानें किस दिन कहां होंगे मतदान?
हाल ही में संस्कृत शिक्षा को अनिवार्य करने को लेकर राज्य सरकार ने फैसला लिया था. हालांकि सरकारी विद्यालय में संस्कृत शिक्षा को लेकर प्रावधान पहले से ही है, लेकिन शासनादेश जारी होने के अब अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों को भी संस्कृत विषय पढ़ाना अनिवार्य होगाा.
बीजेपी सरकार संस्कृत विषय को प्रचारित-प्रसारित करने को लेकर इससे पहले भी गंभीर दिखाई देती रही है. बीजेपी सरकार में ही मंत्रालयों के नाम संस्कृत में लिखे जाने को लेकर आदेश निर्गत किए गए थे. साथी मंत्रियों की नेम प्लेट भी संस्कृत में लिखे जाने के भी आदेश हुए थे. ऐसे भी मौजूदा बीजेपी सरकार ने अब अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों में भी संस्कृत को अनिवार्य करने का फैसला लिया था. जिस पर शासनादेश कर दिया गया है.
पढ़ें- स्टिंग मामले में कल हाईकोर्ट में होगी सुनवाई, कपिल सिब्बल रखेंगे हरीश रावत का पक्ष
बता दें कि उत्तराखंड में सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड के स्कूलों की संख्या करीब 5000 से ज्यादा है. इन विद्यालयों में छात्रों की संख्या लाखों में है. ऐसे में राज्य सरकार का मकसद है कि संस्कृत को हर घर तक पहुंचाया जाए. संस्कृत विषय पर पूर्व बीजेपी सरकार भी फैसले करती रही है. इसमें निशंक सरकार ने उत्तराखंड में संस्कृत को द्वितीय राजभाषा का दर्जा भी दिया था.