देहरादून:देवभूमि को प्रकृति ने कई अनमोल तोहफों से नवाजा है. उत्तराखंड की इन खूबसूरत वादियों में हजारों तरह की बेशकीमती जड़ी-बूटियां भी मौजूद हैं, जिससे लाइलाज बीमारियों को जड़ से खत्म किया जा सकता है. बावजूद इसके राज्य सरकार इन बेशकीमती जड़ी-बूटियों की तरफ ध्यान नहीं दे रही है. यही वजह है कि इन बेशकीमती जड़ी-बूटियों का सही ढंग से सदुपयोग नहीं हो पा रहा है.
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मौजूदा समय में आयुर्वेद की स्थिति कुछ ठीक नहीं है, क्योंकि आज भी किसी व्यक्ति के बीमार पड़ने पर वह सबसे पहले एलोपैथिक दवाइयों की तरफ भागता है. यही वजह है कि आयुर्वेद दवाइयों का ग्राफ दिन प्रतिदिन गिरता जा रहा है. आयुर्वेदाचार्य भविष्य में आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिहाज से न सिर्फ चिंता व्यक्त कर रहे हैं, बल्कि भविष्य के लिए इसको एक बड़ी चुनौती भी करार दे रहे हैं.
जानकारी देते आयुर्वेदाचार्य डॉ. प्रकाश टाटा आयुर्वेद में रिसर्च की अहम भूमिका
आयुर्वेदाचार्य डॉ. प्रकाश टाटा ने बताया कि आयुर्वेद से तमाम लोगों को लाभ हो सकता है, लेकिन इस देश के अंदर आयुर्वेद में न ही रिसर्च हो रही है और न ही मेहनत. कई लोग पैसा कमाने के लिए आयुर्वेद को डुप्लीकेट करने में लगे हुए है. लेकिन अगर सच्चे मन और सच्ची भावना से आयुर्वेद पर रिसर्च की जाये तो ऐसी कोई बीमारी नहीं है. जिसका इलाज आयुर्वेद से न किया जा सके.
उनका कहना है कि रिसर्च न होने के कारण ही आयुर्वेद कर स्तर नीचे चला गया है. एलोपैथिक दवाइयों को खाने के बाद व्यक्ति ठीक हो जाता है, इसकी मुख्य वजह यह है कि एलोपैथिक के वैज्ञानिकों ने इन दवाइयों पर रिसर्च किया है. इसीलिये लोग एलोपैथिक दवाइयों की तरफ भाग रहे हैं. मौजूदा समय में आयुर्वेद में कोई रिसर्च नहीं हो रही है और जब तक रिसर्च नहीं होगी तब तक लोग आयुर्वेद से ठीक नहीं हो पाएंगे.
आयुर्वेद के नाम पर गोरखधंधा
आयुर्वेदाचार्य डॉ. प्रकाश टाटा का कहना है कि कुछ लोग आयुर्वेद के नाम पर गोरखधंधा कर रहे हैं. कुछ लोग एलोपैथिक दवाइयों में आयुर्वेदिक दवाइयां भी मिला देते हैं. हालांकि, इन दवाइयों से कुछ क्षण के लिए तो आराम मिलता है लेकिन फिर इसका साइड इफैक्ट शुरू हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि कुछ लोग धर्म की आड़ में लोगों को लूटने का काम कर रहे हैं.
हिमालय की गोद में बसे उत्तराखंड की सरकार भले ही राज्य को आयुष प्रदेश बनाने का हर संभव प्रयास कर रही हो, लेकिन इसके अच्छे परिणाम नजर नहीं आ रहे हैं. अब देखना होगा कि आखिर त्रिवेंद्र सरकार सूबे को आयुष प्रदेश बनाने का सपना साकार हो पाएगा या नहीं ?