देहरादून: देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की मांग को लेकर चारधामों के तीर्थ पुरोहितों ने शनिवार को उत्तराखंड सचिवालय का कूच किया है. इस दौरान उन्हें पुलिस ने पहले ही बैरिकेड लगाकर रोक लिया. इसके बाद तीर्थ-पुरोहित वहीं धरने पर बैठ गए. देवास्थानम बोर्ड के खिलाफ नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह भी तीर्थ पुरोहितों के समर्थन में उनके साथ बैठे. वहीं आम आदमी पार्टी (आप) के नेता भी तीर्थ पुरोहितों के समर्थन में पहुंचे और वहीं पर धरना दिया.
इस दौरान नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि देवस्थानम बोर्ड कानून बनाने के समय में भी बीजेपी ही सत्ता में थी. आज जो प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं, तब बीजेपी के विधायक थे. जब देवस्थानम बोर्ड कानून बना था. उस दौरान पुष्कर सिंह धामी मौन क्यों थे, तब उन्होंने इसका विरोध क्यों नहीं किया.
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नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि अब जब बीजेपी ने सामने 2022 की चुनौती है, तब वे पुनर्विचार किए जाने की बात कर रहे हैं. उन्होंने इसे अजीब इत्तेफाक बताया. नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने तीन कृषि कानूनों की वापसी पर भी सरकार पर निशाना साधा.
प्रीतम सिंह ने कहा कि केंद्री की मोदी सरकार किसानों के खिलाफ तीन कृषि कानून लाई थी. इसके लिए किसानों ने एक साल तक विरोध प्रदर्शन किया. तब पीएम मोदी ने साफ किया था कि यह कानून वापस नहीं लिए जाएंगे, लेकिन जैसे ही पांच राज्यों में चुनाव नजदीक आए और इंटेलिजेंस ने सरकार को आगाह किया की पांचों राज्यों में बीजेपी सफा हो जाएगी तो केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानून वापस ले लिए.
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प्रीतम सिंह ने कहा कि यहीं स्थिति देवास्थानम बोर्ड को लेकर भी देखने को मिल सकती है. तीर्थ पुरोहित देवास्थानम बोर्ड का विरोध कर रहे हैं. सरकार को जब यह लगा कि 2022 में उत्तराखंड में उनकी विदाई तय है, तब सरकार समिति गठन करने की बात कर रही है. प्रीतम सिंह ने कहा कि हो सकता है कि सरकार दो चार दिनों देवस्थानम बोर्ड को लेकर कोई बड़ा फैसला ले ले.
बता दें कि 27 नवंबर 2019 को मंत्रिमंडल ने देवस्थानम बोर्ड बनाने का प्रस्ताव पारित किया था. इसीलिए इसी दिन को चारधाम के तीर्थ-पुरोहित काला दिन के रूप में मना रहे है और सरकार से देवस्थानम बोर्ड भंग करने की मांग कर रहे हैं.