देहरादूनःकेंद्रीय कैबिनेट की ओर से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को मंजूरी दी जा चुकी है. इस नई शिक्षा नीति में स्कूल शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक कई बड़े बदलाव किए गए हैं. ऐसे में देश के साथ ही प्रदेश के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में नई शिक्षा नीति को लागू करने के लिए तैयारियां जोरों पर हैं.
शिक्षा विशेषज्ञ अंजना वाही बताती हैं कि नई शिक्षा नीति से भारत की शिक्षा नीति में निकट भविष्य में अलग ही सुधार देखने को मिलेगा. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि नई शिक्षा नीति में स्कूल पाठ्यक्रम के 10+2 के ढांचे को बदलकर 5+3+3+4 का नया पाठ्यक्रम तैयार किया गया है. इसके तहत कक्षा पांचवीं तक छात्र मातृभाषा या फिर लोकल भाषा में पढ़ाई कर सकेंगे, जिससे छात्र अपनी मातृभाषा को सही तरह से समझ सकेंगे.
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क्या है 5+3+3+4 का नया पाठ्यक्रम?
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के इस फॉर्मेट के तहत स्कूल के पहले 5 साल में प्री प्राइमरी स्कूल के 3 साल और कक्षा एक और कक्षा दो समेत फाउंडेशन स्टेज शामिल होंगे. फिर अगले 3 साल को कक्षा 3 से 5 की तैयारी के चरण में विभाजित किया गया है.
- कक्षा 6 से कक्षा 8 तक 3 साल मध्य चरण के होंगे और माध्यमिक अवस्था के 4 वर्ष यानी कि कक्षा 9 से 12 तक निर्धारित किए गए हैं. इसके तहत स्कूल में छात्र-छात्राओं को कला वाणिज्य, विज्ञान का कोई कठोर पालन नहीं करना होगा. छात्र-छात्राओं के पास यह स्वतंत्रता होगी कि वह अपनी इच्छा अनुसार कभी भी कोई भी पाठ्यक्रम चुन सकते हैं.
- इसके साथ ही नई शिक्षा नीति की एक और सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस नीति के तहत छात्रों को अब स्कूल लेवल पर ही व्यवसायिक शिक्षा भी दी जाएगी. जिससे किसी कारणवश यदि छात्र आगे की पढ़ाई पूरी नहीं कर पाता है तो छात्र स्कूल में मिले व्यवसायिक ज्ञान के आधार पर अपना खुद का काम या किसी नौकरी की तलाश कर सकेगा.