देहरादून:एक सितंबर से देशभर में नए मोटर व्हीकल एक्ट लागू कर दिये गये हैं. जिसके बाद से जनता एक्ट के भारी-भरकम जुर्माने वाली राशि से डरी हुई है. जिसका फायदा शहर के प्रदूषण जांच केंद्र उठा रहे हैं. हालांकि उत्तराखंड में नए मोटर व्हीकल एक्ट का नोटिफिकेशन अबतक जारी नहीं हुआ है. शिकायत आ रही है कि प्रदूषण जांच केंद्र जनता से मन मुताबिक फीस वसूल रहा है.
नए मोटर व्हीकल एक्ट से खौफजदा लोग. दरअसल, इन दिनों चालान के डर से प्रदूषण जांच केंद्रों के बाहर वाहनों की लंबी-लंबी कतारें लगी हुई हैं. बताया जा रहा है कि जनता से मनमानी फीस वसूली जा रही है. जबकी, वाहन चालकों से 100 रुपये लेने का नियम है. साथ ही इसी प्रदूषण जांच केंद्र में नए मोटर व्हीकल एक्ट की भारी-भरकम जुर्माना राशि चस्पा कर दी गई है. लोगों में इंश्योरेंस करवाने को लेकर भी भय का माहौल बनाया जा रहा है.
पढे़ं-उत्तराखंड छात्रवृत्ति घोटाला: जांच के दायरे में सत्ताधारी लोगों के शिक्षण संस्थान, SIT जांच हो सकती है प्रभावित
प्रदूषण चालान को लेकर जनता में भ्रम की स्थिति बनी हुई है. बता दें कि नियम के अनुसार प्रदूषण चालान काटने का अधिकार पुलिस के पास नहीं है. यह अधिकार सिर्फ संभागीय परिवहन विभाग (RTO) को ही है. जो अन्य दस्तावेज की भी जांच करती है. वहीं सोमवार को पुलिस विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने पुलिसकर्मी को चालान काटते समय बदसलूकी ना करने की हिदायत दी थी.
वहीं लोगों द्वारा प्रदूषण जांच केंद्रों पर जनता से मनमाफिक लूट खसोट करने का आरोप लग रहा है. जानकारों का कहना है कि इसमें सबसे बड़ी लापरवाही ट्रांसपोर्ट विभाग की है. जिसकी मिलीभगत से यह खेल चल रहा है.
बता दें कि ट्रैफिक व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा संशोधित किए गए मोटर व्हीकल एक्ट को लेकर अभी उत्तराखंड में स्थिति साफ नहीं है. अनुमान के मुताबिक अगले कुछ दिनों में उत्तराखंड कैबिनेट की बैठक के बाद नए मोटर व्हीकल एक्ट पर फैसला ले लिया जाएगा. जिसमें जनता को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है.