देहरादून : स्वच्छ भारत मिशन के तहत देशभर में लोग पर्यावरण संरक्षण के बारे में आमजन को शिक्षित करने का प्रयास कर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संदेश से प्रेरित होकर उत्तराखंड की 13 वर्षीया आस्था ठाकुर भी ऐसी कतार में शामिल हो गई हैं, जिन्होंने अपने इलाके को प्लास्टिक मुक्त करने का बीड़ा उठाया है.
देहरादून से करीब 80 किलोमीटर दूर तौली गांव की निवासी आस्था 9वीं कक्षा में पढ़ाई करती हैं. उन्होंने 28 स्कूली बच्चों की एक बाल पंचायत गठित कर रखी है, जिसमें 5-14 साल के बच्चे शामिल हैं.
आस्था ने बताया कि उनकी बाल पंचायत प्लास्टिक की जगह कागज की थैलियां (पेपर बैग) बनाती है और उन्हें दुकानों पर देती है. इस बाल पंचायत में आस्था संग कुल 28 साथी हैं, जो इस काम में उनकी मदद करते हैं.
आस्था के समूह के बच्चे प्लास्टिक के उपयोग के खिलाफ लड़ाई को अंजाम दे रहे हैं. वे कागज की थैलियां बनाते हैं और गांव में सभी को प्लास्टिक के खतरे के बारे में शिक्षित भी कर रहे हैं. इसके साथ ही बाल पंचायत के सदस्यों के साथ मिलकर आस्था पेपर बैग बनाती हैं और इसे आस-पास के इलाकों में बांटती हैं.
आस्था के पिता गोपाल ठाकुर ने बताया कि बेटी के इस काम से सभी लोग प्रेरणा ले रहे हैं. बच्चे अपने माता-पिता और अन्य लोगों को बता रहे हैं कि प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
इस मुहिम का मकसद ज्यादा से ज्यादा लोगों को पेपर बैग के प्रयोग के लिए प्रेरित करना और दैनिक जीवन में हो रहे प्लास्टिक उपयोग को कम करना है. इस मुहिम का एक मकसद पर्यावरण संरक्षण भी है. सभी बच्चे पिछले एक साल से इस मुहिम में जुटे हुए हैं.
आस्था और उनकी टीम की मेहनत से प्रभावित होकर कई गैर सरकारी संगठनों ने मदद के लिए हाथ बढ़ाए हैं. आस्था के दादा अमर सिंह ठाकुर के अनुसार वह सरकार से निवेदन करते हैं कि प्लास्टिक पूरी तरह से बंद कर देना चाहिए, उत्पादन भी बंद कर देना चाहिए. प्लास्टिक से फसलों को नुकसान होता है और गंदगी भी फैलती है.
भारत को प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए बड़ी और देशव्यापी कोशिश करने की जरूरत है. वर्तमान में भले ही आस्था की टीम का प्रयास एक छोटे स्तर पर चल रहा है, लेकिन अगर इसे समुचित मार्गदर्शन मिले तो इसमें देशव्यापी मुहिम बनने की क्षमता है.
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