देहरादून:राजधानी में स्मार्ट सिटी निर्माण कार्य (smart city construction work) काफी धीमी गति से चल रहा है. शहर की सड़कों पर जगह-जगह गड्ढे बने हैं, कई जगह पूरी की पूरी सड़क की हालत खस्ता है. जिससे स्थानीय लोग काफी खफा है, लोगों ने कहा कि शहर में स्मार्ट सिटी का कार्य उनके लिए परेशानी खड़ी कर रहा है, जिससे लोग परेशान हैं. वहीं लोगों ने भारत सरकार की ओर से देहरादून को स्मार्ट सिटी के लिए बेस्ट स्मार्ट सिटी अवॉर्ड के लिए चुने जाने पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं.
देहरादून स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने 25 मार्च, 2022 को स्मार्ट सिटीज इंडिया अवॉर्ड 2022 की सेफ सिटी श्रेणी के अंतर्गत में अवॉर्ड जीता है. यह पुरस्कार दिल्ली के प्रगति मैदान में ITPO (Indian trade promotion organization) द्वारा आयोजित अवॉर्ड सेरेमनी में जिलाधिकारी मुख्य कार्यकारी अधिकारी स्मार्ट सिटी लि. डॉ. आर राजेश कुमार को प्रदान किया गया है, लेकिन देहरादून सिटी का हाल बदहाल है. यह हम नहीं कह रहे बल्कि ऐसा कहना है कि देहरादून तमाम व्यापारियों का. देहरादून के स्थानीय व्यापारियों ने अवॉर्ड को लेकर ईटीवी भारत से अपने विचार साझा किए हैं.
देहरादून स्मार्ट सिटी को अवॉर्ड मिलने से लोगों में नाराजगी. देहरादून के व्यापारियों का कहना है कि देहरादून के निवासी पिछले तीन साल से स्मार्ट सिटी निर्माण की अव्यवस्थाओं से खासे परेशान हैं. शहर का कोई भी हिस्सा ऐसा नहीं है जहा खुदाई ना की गई हो, सड़कें ना टूटी हों, नालियां ना खुदी हों और ड्रेनेज सिस्टम अव्यवस्थित ना हो. ऐसे तमाम स्मार्ट सिटी सौन्दर्यीकरण के कार्य बदहाली की कहानी बयां कर रहे हैं.
देहरादून शहरवासी लंबे समय खस्ताहाल सड़कों, सीवर कनेक्शन, नालियों के मरम्मत के कार्य, ड्रेनेज सिस्टम और खुदी सड़कों से उड़ती धूल से परेशान हो चुके हैं. सौंदर्यीकरण के नाम पर पल्टन बाजार को दो साल पहले खोदा गया था, लेकिन सौंदर्यीकरण का काम तब से अधर में लटका है. ऐसे में व्यापारियों को चिंता सता रही है कि जब गर्मी के सीजन में यह हाल है, तो बारिश में क्या होगा.
अवॉर्ड ने जख्मों पर नमक छिड़का:नाराज शहरवासियों का कहना है कि आखिर स्मार्ट सिटी कंपनी को पुरस्कार से क्यों नवाजा गया है, जबकि ब्रिटिश काल से बरकरार देहरादून की सुंदरता को पिछले तीन से ग्रहण लगा हुआ है. शहरवासियों से स्मार्ट सिटी को मिलने वाले सेफ्टी स्मार्ट सिटी अवॉर्ड को लेकर हैरानी जताते हुए इसे जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा बताया है.
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट से शहर की छवि धूमिल:देहरादून के कुछ व्यापारियों का कहना है कि पिछले 3 वर्षों से शहर का कोई ऐसा हिस्सा नहीं है, जहां टूटी सड़कें और नालियां ड्रेनेज व सीवर सिस्टम के अधूरे कार्यों से जनता परेशान ना हो. स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अधिकारी जिस तरह से गुणवत्ता को ताक पर रखकर कछुए की चाल से निर्माण कार्य कर रहे हैं, उससे देहरादून शहर के छवि धूमिल हो रही है. देहरादून शहर की दुर्दशा ने पर्यटक यहां आने से कतरा रहे हैं.
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देहरादून के बदहाल इलाके:स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत शहर की लाइफ लाइन कही जाने वाली राजपुर रोड, इसी रोड, तहसील चौक, प्रिंस चौक, लैंसडाउन चौक, बुद्धा चौक, दर्शनलाल चौक, राजपुर रोड गांधी रोड पल्टन बाजार, धमावाला बाजार व परेड मैदान जैसे तमाम स्थान हैं, जहां की स्थिति बदहाल बनी हुई है. यहां दोपहिया वाहन चालक आए दिन गिरकर चोटिल हो रहे हैं. लोगों को पैदल निकलने में भी परेशानी हो रही है. खासकर बच्चों और वृद्धों के लिए यहां से निकला मुश्किल है.
सीसीटीवी कैमरा लगा देने से शहर नहीं होता स्मार्ट:देहरादून के व्यापारियों का कहना है कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अधिकारियों और कार्य से संबंधित विभागों के अधिकारियों में सामंजस्य नहीं होने के कारण शहर का हाल बेहाल हैं. स्मार्ट सिटी के कार्य लोगों के लिए जी का जंजाल बना है. लोगों का कहना है कि शहर में सीसीटीवी कैमरे लगा देने के शहर स्मार्ट नहीं हो जाता है, जमीनी स्तर पर भी काम होना चाहिए.
तत्कालीन सीएम तीरथ सिंह रावत लगा चुके हैं अधिकारियों को फटकार:स्मार्ट सिटी के अधिकारियों को साल 2021 में तत्कालीन मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत कड़ी फटकार लगा चुके हैं, लेकिन अधिकारियों ने अपने काम में कोई बदलाव नहीं किया, ना ही निर्माण कार्यों में तेजी आई और ना ही गुणवत्ता पर कोई ध्यान दिया गया. ऐसे में बीते 25 मार्च 2022 को देहरादून स्मार्ट सिटी कंपनी CEO डॉ. राजेश कुमार को दिल्ली के प्रगति मैदान में 'सेफ्टी स्मार्ट सिटी 2022' के पुरस्कार से नवाजा गया है. इस पर शहरवासी हैरानी जता रहे हैं.