विकासनगरः जनजातीय क्षेत्र जौनसार बावर अपनी पौराणिक रीति रिवाज, पारंपरिक पर्व और तीज त्योहार के लिए मशहूर है. इन्हीं में एक पाइंता पर्व भी शामिल है, जो विजयादशमी या दशहरा पर मनाया जाता है. इस दिन दो गांव कुरौली और उदपाल्टा के बीच गागली यानी अरबी के डंठलों से युद्ध किया जाता है. जिसमें एक दूसरे पर गागली के डंठलों से वार किया जाता है, लेकिन खास बात ये है कि इस युद्ध में न तो किसी की हार होती है न ही जीत.
बेहद मार्मिक है कहानी, कन्याओं के कुएं में मौत से जुड़ी है कथाःलोक कथाओं के अनुसार, सैकड़ों साल पहले गांव की दो कन्याएं रानी और मुन्नी पानी लेने कुएं के पास गई थी. दोनों में काफी गहरी दोस्ती थी, लेकिन पानी भरते समय एक कन्या का पांव फिसलने से वो कुएं में गिर गई, जिससे उसकी मौत हो गई. इसके बाद दूसरी कन्या रोते हुए घर पहुंची और पूरा वाक्या ग्रामीणों को बताया, लेकिन ग्रामीणों ने उसी पर ही दूसरी कन्या की मौत का इल्जाम लगा दिया. जिससे वो क्षुब्ध हो गई और उसी कुएं कूद कर जान दे दी. ऐसे में ग्रामीणों को दो कन्याओं का पाप लगा.
इसके पश्चाताप में कुरौली और उदपाल्टा के ग्रामीण दोनों कन्याओं की घास फूस की प्रतिमाएं बनाते हैं. जिसे ग्रामीण अष्टमी के दिन तैयार करते हैं और दशहरे तक घरों में पूजन करते हैं. दशहरे के दिन पाइंता के रूप में पर्व मनाते हैं. इस दौरान ग्रामीण पंचायती आंगन में एकत्रित होकर प्रतिमाओं को हाथ में लेकर नाचते गाते हुए कुएं के पास पहुंचते हैं. जहां पर कन्याओं की प्रतिमाओं को वो विसर्जित करते हैं. उसके बाद ग्रामीण देवदार के जंगलों के बीच स्थित कियाणी नामक स्थान पर पहुंचते हैं.
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