डॉ योगी ने प्रकृति की गोद में बनाया अनोखा बंकर. देहरादून:देश के प्रसिद्ध प्लास्टिक सर्जन पद्मश्री डॉ योगी ऐरन का नाम किसी पहचान का मोहताज नहीं है. डॉक्टर योगी ने अपना पूरा जीवन आग में झुलसे लोगों एवं जंगली जानवरों के लिए समर्पित किया है. साल 2020 में 'पद्मश्री' से सम्मानित डॉक्टर ऐरन पिछले 40 सालों से मसूरी की तलहटी राजपुर कुठाल गेट के पास एक पहाड़ी के हिस्से में प्राकृतिक संसाधनों से प्राइवेट बंकर तैयार कर रहे हैं, जहां लोग आपातकालीन स्थिति में भी सुरक्षित रह सकते हैं. ये उनका ड्रीम प्रोजक्ट है. ईटीवी भारत की टीम को खुद डॉक्टर ऐरन ने अपने इस ड्रीम प्रोजेक्ट की एक-एक बारीकी समझाई.
साल 1966 से 1984 तक अमेरिका में प्रेक्टिस करने के बाद देहरादून में आकर बसे डॉक्टर योगी ऐरन आज के युग में प्रकृति से जुड़कर उसकी गोद में कुछ जीवनदायनी वस्तुओं के बीच रहने का भी ठिकाना बना रहे हैं. मसूरी की पहाड़ी की तलहटी में बना यह पूरा इलाका 'जंगल मंगल' के नाम से पहचाना जाता है. यहां 6 हजार से अधिक पेड़ पौधे लगाए गए हैं, जिसमें मुख्यतः ढाई सौ से अधिक बरगद के पेड़ और पीपल के पेड़ लगाए गए हैं. इतना ही नहीं, लगभग ढाई एकड़ में फैले जंगल-मंगल के नाम पहचान रखने वाले स्थान में पालतू जीव-जन्तु भी हैं.
मसूरी की तलहटी राजपुर कुठाल गेट के स्थित है बंकर. प्रकृति की गोद में बनाया बंकर:डॉ योगी बताते हैं कि250 बरगद के पेड़ों के नीचे बंकर बनाने का काम उन्होंने 40 साल पहले देहरादून आकर शुरू किया था. देहरादून से मसूरी जाने वाले राजपुर इलाके की शांत वादियों में डॉ योगी प्राकृतिक संसाधनों से लैस ये प्राइवेट बंकर बना रहे हैं. इस बंकर के ऊपर 250 बरगद के पेड़ लगे हैं. बंकर के ऊपर 300 फीट गोलाकार छोटी सी नहर बनी है, जिसमें कई मछलियां पाली गई हैं. इतना ही नहीं, बंकर के छत पर कई और पालतू जानवर भी हैं. जिसमें मुर्गियां, तीतर, गिलहरी, बत्तख, खरगोश और कई अन्य जानवर भी पाले गये हैं.
बंकर के अंदर जीवनदायिनी हर सुविधा की व्यवस्था:डॉक्टर योगी बताते हैं कि इस स्थान में किसी आपातकाल की स्थिति में भी आसानी से रहा जा सकता है. इस बंकर में तीन अलग-अलग बड़े कमरे हैं, जिसमें 10 से 12 लोग आसानी से रह सकते हैं. बंकर की दीवारें प्राकृतिक रूप से 10 फीट से अधिक हैं. बंकर में रहने के लिए बेड हैं, नेचुरल ऑक्सीजन, मेडिकल सहित और भी कई तरह की सुविधाएं दी गई हैं, जो लंबे वक्त तक किसी इंसान के जीवित रहने के लिए जरूरी हैं. यह सभी सुविधाएं प्राकृतिक संसाधनों से जोड़ी गई हैं, ताकि यहां रहकर भी प्रकृति की गोद में सुकून का समय बिताया जा सके.
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बंकर में ऑक्सीजन की पूरी सुविधा:बंकर के अंदर और बाहर सीसीटीवी कैमरे लगे हैं. बंकर से बाहर देखने के लिए रोशनदान भी हैं, जहां से बाहर की दुनिया को देखा जा सकता है. यहां बड़े-बड़े पहाड़ों के बोल्डर से बंकर के अंदर में वैज्ञानिक पद्धति से दीवारें और पिलर बनाए गए हैं, जिनको पेड़ों के तनों से भी जोड़ा गया है, ताकि कभी लोहे के पिलर में कमी आ जाए तो पेड़ों की मोटी तने इस स्थान को सुरक्षित कर सकें.
तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने डॉ योगी को दिया पद्मश्री पुरस्कार. डॉक्टर योगी ने अपने इस प्रोजेक्ट की खासियत बताते हुए बताया कि इस बैरक में सुरंगनुमा स्थान पर पत्थर के बेड हैं. बंकर में एक कमरे से दूसरे कमरे में जाने के लिए सुरंगनुमा रास्ता भी बनाया गया है. ताकि बाहर जाकर प्रकृति के अन्य संसाधनों का भी लुफ्त उठाया जा सके. डॉ योगी का कहना है कि किसी आपातकालीन स्थिति में भी इसमें आसानी से छिपा जा सकेगा, क्योंकि बंकर के ऊपर एक हरा-भरा एक बगीचा तैयार किया जा रहा है. बंकर की सुरंग की छत पर 300 फीट की नहर भी बह रही है.
डॉक्टर योगी इसे दुनिया का पहला ऐसा बंकर करार दे रहे हैं, जो इस तरह से बगीचे नुमा क्षेत्र में बन रहा है. उनका कहना है कि बंकर के ऊपर सैर करने के लिए रास्ता भी बनाया गया है, जो पूरी तरह पेड़ों से ढका हुआ है. बंकर का क्षेत्र इस तरह से है कि कोई इस बात का अंदाजा नहीं लगा सकता कि इसके नीचे बंकर है.
अमेरिका से मिला यह कॉन्सेप्ट:85 साल के डॉ योगी कहते हैं कि अमेरिका से उनको यह कॉन्सेप्ट मिला है. 40 साल पहले अमेरिका में प्लास्टिक सर्जरी में डॉक्टरी की नौकरी छोड़कर देहरादून आए. यहां आकर राजपुर के मधुबन होटल से लगभग 15 किलोमीटर पैदल पहुंचकर उन्होंने इस स्थान की खोज की. उस जमाने में घने जंगल पहाड़ जंगल और एक चट्टाननुमा इस स्थान को देख कर उनको आइडिया आया कि यहां वो अपना जंगल-मंगल वाला कॉन्सेप्ट पूरा करेंगे.
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जीवनभर की कमाई लगाई:डॉक्टर योगी के अनुसार वो अपने पूरे जीवन भर की कमाई, पैतृक संपत्ति और अपने 3 बच्चों की कमाई भी इस स्थान पर लगा चुके हैं, फिर भी इसमें अभी काफी काम होना बाकी है. क्योंकि प्राकृतिक संसाधनों का ही इस्तेमाल कर इस स्थान के निर्माण में कई चुनौतियां सामने आ रही हैं. आर्थिक तंगी भी कई बार सामने आती है इसलिए उन्होंने निजी फाउंडेशन से भी मदद मांगी है जो इसका बचा काम पूरा करने में मदद करेंगे.
बच्चों के लिए वैज्ञानिक पद्धति की कई ज्ञानवर्धक बातें:डॉ योगी बताते हैं कि पिछले 40 सालों से उनके पास जो कारीगर काम कर रहे हैं वो जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश, सहारनपुर और अन्य राज्यों से भी यहां काम कर रहे हैं. डॉक्टर योगी ने यहां स्कूली बच्चों को वैज्ञानिक शिक्षा देने के लिए भी कई तरह के जानवर्धक बातों का भी ध्यान रखा है. मसलन गुरुत्वाकर्षण की पद्धति, पृथ्वी की धुरी का संतुलन कैसे बनता है, पेड़ पौधों, पशुओं और प्राकृतिक संसाधनों से कितनी महत्वपूर्ण चीजें हमें जीवनदायिनी के रूप में मिलती हैं.
जिंदगी का सबसे बड़ा सपना:डॉक्टर योगी कहते हैं कि उनके दो बेटे अमेरिका में इंजीनियर है. एक बेटा देहरादून कोरोनेशन अस्पताल में प्लास्टिक सर्जरी का डॉक्टर है. 73 वर्षीय पत्नी उनके साथ है. अब उनके जीवन का यही मकसद है कि उनके रहते जंगल-मंगल में उनका सपनों का यह कॉन्सेप्ट बनकर एक दिन पूरी तैयार हो, ताकि उनकी आंखों के सामने प्रकृति के गोद में हर कोई अपना कुछ समय बिता सके.
कौन हैं डॉ योगी ऐरन:85 साल के डॉ योगी ऐरन एक जाने माने प्लास्टिक सर्जन हैं. वो आज भी लोगों की सेवा में जुटे हुए हैं. डॉ, योगी ऐरन अब तक 5 हजार से अधिक निश्शुल्क प्लास्टिक सर्जरी कर चुके हैं. उनकी इस सेवाभाव का नतीजा है कि उन्हें साल 2020 के पद्म पुरस्कारों की सूची में शामिल किया गया और तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्होंने पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा था. डॉ योगी ने साल 1966 से साल 1984 तक अमेरिका में प्रेक्टिस की. इसके बाद वे अपनी जड़ों में वापस लौट आए. डॉ योगी ने हेल्पिंग हैंड नाम से एक संस्था भी शुरू की, जो अमेरिकी चिकित्सकों की मदद से निःशुल्क सर्जरी कैंप का आयोजन करती है.
कई लोगों को दे चुके हैं जीवन दान:पद्मश्री डॉ योगी ऐरन का जन्म 16 सितंबर, 1937 में उत्तर प्रदेश के जनपद मेरठ के छोटे से एक कस्बे हस्तिनापुर में हुआ था. डॉ योगी एरेन ने साल 1967 में लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज से स्नातक की. प्रिंस ऑफ वेल्स मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, पटना से साल 1971 में प्लास्टिक सर्जरी में मास्टर्स डिग्री ली. उसके बाद डॉ योगी ने लखनऊ और देहरादून के सरकारी अस्पतालों और प्रिंस ऑफ वेल्स मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, पटना में कार्यरत रहे. डॉ योगी अब तक कई लोगों को नया जीवन दे चुके हैं.