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National Handloom Day 2023: राष्ट्रीय हथकरघा दिवस पर देखिए जोहड़ी गांव का खूबसूरत हैंडलूम, ऐसे हुई शुरुआत - राष्ट्र प्रेम की भावना से जोड़ता है हैंडलूम

आज राष्ट्रीय हथकरघा दिवस है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 7 अगस्त 2015 को पहली बार राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाने की शुरुआत की थी. तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई से इसकी शुरुआत हुई थी. तब से हर साल 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाया जाता है. पीएम मोदी का उद्देश्य इससे स्वदेशी आंदोलन को बढ़ावा देना है. राष्ट्रीय हथकरघा दिवस पर आपको देहरादून के जोहड़ी हैंडलूम सैंटर के बारे में बताते हैं.

National Handloom Day 2023
राष्ट्रीय हथकरघा दिवस

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Published : Aug 7, 2023, 12:38 PM IST

देहरादून:उत्तराखंड में पारंपरिक तौर पर हथकरघा व्यवसाय अपनी अलग जगह रखते हैं. राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के मौके पर देहरादून के जोहड़ी गांव में गोदामबड़ी संस्था ने हथकरघा प्रदर्शनी का आयोजन किया. इस मौके पर प्रदर्शनी के आयोजक तुषार तांबे ने बताया कि हैंडलूम हमारे देश की परंपरा रही है. लेकिन आज धीरे-धीरे ये परंपरा विलुप्त हो रही है. हैंडलूम व्यवसाय को लेकर आमजन में जन जागरूकता की जरूरत है. उनका कहना है कि हैंडलूम के फायदे और इसकी विशेषताओं को लेकर के लोगों को समझने की जरूरत है.

आज राष्ट्रीय हथकरघा दिवस है.

हैंडक्राफ्ट को लोकल स्तर पर मिल रहा बढ़ावा: आपको बता दें कि हैंडलूम और हैंडक्राफ्ट को लेकर के पिछले कुछ सालों से केंद्र और राज्य सरकारें लगातार छोटे व्यवसायियों को बढ़ावा दे रही हैं. पिछले कुछ समय में इस व्यवसाय से जुड़े लोगों की संख्या में भी इजाफा हुआ है. हैंडलूम और हैंडक्राफ्ट के जरिए लोकल के स्वर को जहां एक तरफ बढ़ावा मिला है. वहीं छोटे इलाकों में भी लगातार रोजगार के नए अवसर खुल रहे हैं.

राष्ट्रीय हथकरघा दिवस पीएम मोदी ने शुरू किया था

राष्ट्र प्रेम की भावना से जोड़ता है हैंडलूम: स्थानीय उत्पादों से जुड़े व्यवसाई लोगों का कहना है कि हैंडलूम और हैंडक्राफ्ट कहीं ना कहीं हमें अपनी राष्ट्र प्रेम की भावना से जोड़ते हैं. पिछले कुछ सालों में उत्तराखंड में हैंडलूम और हैंडक्राफ्ट को लेकर के काफी काम हुआ है. उत्तराखंड आने वाले पर्यटक लगातार उत्तराखंड के लोगों द्वारा बनाए गए हैंडलूम को पसंद भी कर रहे हैं.

जोहड़ी गांव में खूबसूरत हैंडक्राफ्ट बनते हैं.

हैंडलूम और हैंडक्राफ्ट इसलिए भी विशेष स्थान रखते हैं, क्योंकि ये सीधे तौर से ऑर्गेनिक प्रोडक्ट होते हैं. यह सीधे तौर से प्रकृति से जुड़े रहते हैं तो या ये कहें कि कहीं ना कहीं अपने आप में यूनिकनेस भी रखते हैं.

हैंडक्राफ्ट सेंटर में स्थानीय लोगों को रोजगार मिला है

देहरादून के जोहड़ी गांव में है हैंडलूम सेंटर: देहरादून के जोहड़ी गांव में हैंडलूम का सेंटर है. यहां पर तकरीबन सात हैंडलूम एक साथ काम करते हैं. इनमें देहरादून के जाकर इलाके और आसपास के गांवों की तकरीबन 15 महिलाएं काम करती हैं. इस हैंडलूम सेंटर में महिलाओं को तकरीबन 6 महीने तक ट्रेनिंग दी जाती है. उसके बाद उन्हें अलग-अलग तरह के काम दिए जाते हैं. इस हैंडलूम सेंटर में महिलाओं द्वारा कई उत्पाद बनाए जाते हैं. इनमें बेडशीट, सूट, तौलिये, योगा मैट, दरी, सूट एंड कुर्ता आदि कई उत्पाद बनाए जाते हैं.
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