देहरादून: अगर आप देहरादून, हरिद्वार और हल्द्वानी जैसे बड़े शहरों में रहते हैं तो अक्सर आपको घर से निकलते ही सड़कों पर जाम की समस्या से दो चार होना पड़ता होगा. ऐसे में आपके मन में ये सवाल जरूर उठा होगा कि बीते कुछ सालों में बढ़ती आबादी के साथ-साथ शहर की सड़कें भी जाम होने लगी हैं. अगर सड़कें जाम हो रही हैं, तो जाहिर है कि सड़कों पर वाहनों का दबाव (Vehicle pressure on the roads of Dehradun) ज्यादा है. ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि आखिर शहर की सड़कें क्यों जाम हो रही हैं और आपको जाम के झाम से निजात कैसे मिलेगी ?
अगर आप राजधानी देहरादून, हरिद्वार और रुड़की जैसे बड़े शहरों में रहते होंगे तो आपके मन में भी यह सवाल जरूर उठा होगा कि आखिर अचानक इतने ज्यादा वाहन सड़कों पर कैसे आ गए. इसके पीछे एक तर्क यह हो सकता है कि कोरोना के कारण एक लंबा समय लॉकडाउन और प्रतिबंधों के बीच गुजरा है, जिसके बाद अब स्थितियां सामान्य हो चुकी हैं तो सभी प्रतिबंध हटा दिए गए हैं. ऐसे में अब सभी लोग सड़कों का बखूबी इस्तेमाल कर रहे हैं. हालांकि, यह पूरा सच नहीं है. उत्तराखंड की सड़कों पर लगातार बढ़ रहे ट्रैफिक का असली सच यह है कि हर साल लाखों की संख्या में नए वाहन सड़कों पर उतर रहे हैं.
उत्तराखंड परिवहन विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार साल 2001 में प्रदेश में 4,05,212 वाहन सड़कों पर थे. वहीं अब साल 2021 में उत्तराखंड में वाहनों की संख्या बढ़कर 33,15,139 हो चुकी है. परिवहन विभाग के अनुसार हर साल बड़ी संख्या में नए वाहन खरीदे जाते हैं. यह सभी नए वाहन सड़कों पर होते हैं. राज्य गठन के शुरुआती सालों में वाहनों की खरीद की रफ्तार थोड़ा कम थी, लेकिन अब हर साल लाखों की संख्या में नए वाहन खरीदे जा रहे हैं. ऐसे में उत्तराखंड की सीमित सड़कों पर वाहनों का यह दबाव बढ़ता जा रहा है.
हर साल बढ़ रही वाहनों की संख्या:पिछले 21 सालों में उत्तराखंड में हर साल लाखों की संख्या में नए वाहन सड़क पर उतरे हैं. हालांकि पिछले 2 सालों में कोविड-19 महामारी के चलते वाहनों की खरीद कम हुई थी. लिहाजा साल 2020 और 21 में नए वाहनों की खरीद का जो आंकड़ा पौने तीन लाख तक जा रहा था, वह इन दो सालों में दो लाख से नीचे आ गया. यह आंकड़ा भी काफी बड़ा आंकड़ा है. इस तरह से साल 2021-22 तक उत्तराखंड में कुल 33 लाख से ज्यादा वाहन सड़क पर लगने वाले जाम का बड़ा कारण बनते हैं.
मेट्रो प्रोजेक्ट है इसका समाधान:लगातार विकसित हो रहे उत्तराखंड में कई गुना रफ्तार से बढ़ रहे सड़कों पर वाहनों के दबाव को देखते हुए देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश और रुड़की तक के क्षेत्र को मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र घोषित किया गया था. यहां पर सड़कों पर लगने वाले ट्रैफिक जाम और लगातार बढ़ रहे वाहनों के दबाव को कम करने के लिए साल 2016 में उत्तराखंड के पहले मेट्रो प्रोजेक्ट की घोषणा की गई. जिसके बाद उत्तराखंड में मेट्रो को लेकर कवायद शुरू हुई. उत्तराखंड में पहले मेट्रो प्रोजेक्ट के तहत तीन फेज में स्वीकृति मिली है, जिसमें सबसे पहला फेज देहरादून शहर का है. उसके बाद हरिद्वार-रुड़की और ऋषिकेश को जोड़ने वाला है. इन दोनों को जोड़ते हुए ऋषिकेश से देहरादून तक के प्रोजेक्ट को तीसरे फेज में लिया गया है.
पढ़ें- UPCL के बड़े अधिकारियों पर उत्पीड़न का आरोप लगा गटका जहर, निगम में मचा हड़कंप