देहरादून: साल 2014 में तत्कालीन उत्तराखंड सरकार ने सेवा का अधिकारी आयोग का गठन किया था. लेकिन सरकार दर्जनों विभागों को इससे जोड़ना भूल गई. उत्तराखंड के अभी ऐसे कई विभाग हैं जो सेवा के अधिकार के तहत अधिसूचित नहीं हैं. अब सरकार में बैठे अधिकारी ही ये बता सकते हैं कि वो विभागों को सेवा के अधिकार से जोड़ना नहीं चाहती है या वाकई विभागों को अधिसूचित किए जाने के दौरान इन विभागों को भुला दिया गया.
राज्य में करीब 5 साल पहले सेवा के अधिकार का फायदा आम लोगों को दिलाने के लिए आयोग का गठन किया गया था. इस दौरान 10 विभागों को सेवा के अधिकार में अधिसूचित कर इनकी विभिन्न सेवाओं को तय समय सीमा में लोगों तक पहुंचाने के लिए अनिवार्य किया गया था.
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इसके बाद 12 दूसरे विभागों को भी सेवा के अधिकार में जोड़ा गया और इन सभी 22 विभागों की कुल 160 सेवाएं अधिकार के रूप में तय समय सीमा पर लोगों को देने के लिए विभागों को बाध्य किया गया. बावजूद इसके प्रदेश के ऐसे कई जरूरी विभाग हैं जो आज भी सेवा के अधिकार के रूप में अधिसूचित नहीं हैं. यानि उनकी सेवाओं के लिए समय सीमा बाध्यकारी नहीं बनाई गई है. इसमें वन विभाग, कृषि, उद्यान विभाग, पंचायतीराज, उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, सूचना विभाग, खेल, जल संस्थान, उद्यान और महिला एवं बाल विकास जैसे कई विभाग आयोग में अधिसूचित नहीं हैं.
अब यह भी जानिये कि वह कौन से विभाग हैं जिनकी सेवाएं आप तय समय सीमा पर ले सकते हैं. उत्तराखंड में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग, राजस्व विभाग, चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, आवास, परिवहन, पेयजल, समाज कल्याण, शहरी विकास, विद्यालय शिक्षा, गृह विभाग, स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन, मनोरंजन कर, औद्योगिक विकास, वाणिज्य कर, पशुपालन, सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम, श्रम एवं सेवायोजन और ऊर्जा विभाग में आप विभिन्न सेवाओं को तय समय सीमा पर ले सकते हैं. यानि कि इन विभागों में करीब 160 सेवाएं ऐसी हैं, जिनमें तय सीमा पर सेवा का लाभ लेना आपका अधिकार है, तो अपने अधिकार को पहचानिए और सेवा के अधिकार का लाभ लीजिए.
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सेवा के अधिकार आयोग द्वारा हाल ही में कई विभागों को नोटिस देकर सेवा का अधिकार का लाभ न दिए जाने पर लताड़ लगाई है. कई मामले तो ऐसे भी हैं, जिनकी शिकायत न होने के बावजूद भी संदेह के आधार पर जानकारी मांगी गई. जानकारी के बाद आयोग ने लोगों को सेवा का अधिकार का लाभ दिलवाया है. इसमें हाल ही में समाज कल्याण विभाग में सैकड़ों लोगों को पेंशन न दिए जाने का मामला खासतौर पर चर्चाओं में रहा.
यूं तो सेवा का अधिकार आम लोगों के हक में कानून के रूप में दिया गया है, लेकिन बेहद कम लोग हैं जो इस अधिकार का लाभ लेने को लेकर जागरूक दिखाई देते हैं. जबकि कई विभागों को सेवा के अधिकार में अधिसूचित न कर सरकार भी इन विभागों में आम लोगों के अधिकार को छीनने का काम कर रही है.