देहरादून: उत्तराखंड बीजेपी में इन दिनों बहुगुणा खेमा पार्टी से अलग-थलग दिखाई दे रहा है. यूं तो बीजेपी कार्यकर्ताओं की कांग्रेस से आए नेताओं के खिलाफ टिप्पणियां देर-सबेर आती रही हैं, लेकिन अब सीधे पूर्व सीएम विजय बहुगुणा के खिलाफ ही प्रशिक्षण कार्यक्रम में आपत्तिजनक टिप्पणी आने से बहुगुणा खेमा खासा नाराज बताया है. ऐसे में नाराजगी के पीछे की वजह क्या है ? और क्या आगामी विधानसभा चुनाव से पहले बहुगुणा खेमा बीजेपी को तगड़ा झटका दे सकता है?
दरअसल, बीजेपी की एक नेत्री पर विजय बहुगुणा के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप लगा है. ये आरोप किसी और ने नहीं बल्कि बहुगुणा खेमा से आने वाले विधायक उमेश काऊ ने लगाया है. ऐसा इसलिए है क्योंकि पहले ही बीजेपी में शामिल हुए कांग्रेस के तमाम दिग्गज खुद को पार्टी के अंदर असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. ऐसे में अब विजय बहुगुणा को लेकर बयान आना बीजेपी में बिखराव की स्थिति पैदा कर रहा है.
पढ़ें-पूर्व CM बहुगुणा पर की गई अभद्र टिप्पणी पर बोले बंशीधर भगत, कहा- उन्हें नहीं मामले की जानकारी
कयास लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस से आए नेता बीजेपी को चुनाव से ठीक पहले बड़ा झटका दे सकते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि मौजूदा त्रिवेंद्र सरकार के दौरान ऐसे कई मामले आये हैं जिससे इन नेताओं की नाराजगी सरकार को लेकर बढ़ी है.
हरक सिंह रावत प्रकरण ने बढ़ाई सरकार से दूरियां
कृषि मंत्री हरक सिंह रावत की नाराजगी सार्वजनिक तौर पर कुछ दिनों पहले ही उभरकर सामने आई है. हरक सिंह खुले रूप से सरकार के उस निर्णय का विरोध कर चुके हैं जिसमें उन्हें उत्तराखंड भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष और उनके करीबियों को सदस्य पद से हटाया गया था. हरक सिंह रावत बेहद आक्रामक नेता हैं और उनकी छवि दबाव में काम करने वाली नहीं रही है. शायद यही कारण है कि हरीश रावत सरकार में बेहद आक्रमक रुख के साथ उन्होंने कांग्रेस को अलविदा कह दिया था. ठीक इसी तरह की स्थिति अब त्रिवेंद्र सरकार में भी दिखाई दे रही है. ऐसे में उत्तराखंड की सियासत में फिर से ये सवाल तैरने लगा है कि क्या एक बार विजय बहुगुणा खेमा इतिहास दोहराएगा?
विजय बहुगुणा को पार्टी ने नहीं दिया सम्मान
बीजेपी में शामिल होने के बाद से ही विजय बहुगुणा को अबतक कोई भी बड़ा पद नहीं दिया गया है. पूर्व मुख्यमंत्री होने के नाते यह माना जा रहा था कि बीजेपी में कोई बड़ी जिम्मेदारी उन्हें दी जा सकती है, लेकिन करीब तीन साल बीतने के बावजूद भी अबतक वो बिना पद ही निष्क्रिय रूप में दिल्ली में डेरा जमाए हुए हैं.
विधायक उमेश काऊ कर चुके हैं शिकायत
कांग्रेस से भाजपा के विधायक उमेश शर्मा काऊ तो पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को चिट्ठी लिखकर सरकार के खिलाफ अपनी विधानसभा क्षेत्र में विकास कार्य नहीं कराए जाने तक की शिकायत कर चुके हैं. उनकी नाराजगी त्रिवेंद्र सिंह रावत से सबसे ज्यादा दिखाई देती है. दरअसल, उमेश शर्मा काऊ त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ कांग्रेस में रहते हुए विधानसभा का चुनाव में उन्हें हरा चुके हैं. ऐसे में राजनीतिज्ञ इस पुरानी टीस को दोनों नेताओं की आपसी दूरियों की वजह मानते हैं.
पढ़ें-अधिकारी की नाराजगी से नहीं चलेगी सरकार, संभालना पड़ेगा कार्यभार: मदन कौशिक