देहरादून:उत्तराखंड राज्य में जेलों की हालत बेहद चिंताजनक है. आए दिन प्रदेश के अलग-अलग जेलों से संचालित आपराधिक नेटवर्क का खुलासा हो रहा है. इसकी एक वजह राज्य के सभी 11 जेलों में मैन पावर और संसाधनों की कमी (Lack of staff and resources in Uttarakhand Jails) को भी माना जा रहा है. इसके साथ ही पिछले दिनों अलग-अलग जेल में कार्यरत कर्मचारियों के अपराधियों से मिलीभगत और भ्रष्टाचार के मामले भी सामने आए हैं.
वहीं, जेलों में बंद कई कुख्यात अपराधी ड्रग्स कारोबार से लेकर हत्या, रंगदारी,धमकी, अपहरण जैसे कारोबार को जेल में बैठे-बैठे ही बदस्तूर चला रहे हैं. लेकिन इसके बावजूद पुलिस प्रशासन की ओर से इन मामलों में कोई कार्रवाई होती नजर नहीं आ रही है.
जेल विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, राज्य के सभी जेलों में जेल सुपरिटेंडेंट, जेलर और डिप्टी जेलर की कमी है. विभाग में जेलों में बंदी रक्षक और अन्य कर्मचारियों की भारी कमी चल रही है. जानकारी अनुसार राज्य के सभी 11 कारागारों में जेल अधीक्षक से लेकर बंदी रक्षक तक के 300 से अधिक पद रिक्त चल रहे हैं. जिनकी भर्ती का प्रस्ताव काफी समय से शासन को भेजा गया है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. यही कारण है कि जेलों में कई तरह के संसाधन और स्टाफ की कमी के चलते कुख्यात अपराधियों से लेकर जेल पहुंचने वाले कैदियों की मॉनिटरिंग सही तरह नहीं हो पा रही है. जिसके चलते आए दिन जेलों से आपराधिक गतिविधि संचालित होने के मामले सामने आ रहे हैं.
जेलों में मानक से अधिक कैदी बंद:बता दें कि, उत्तराखंड में 13 जनपद हैं, जबकि जेलों की संख्या 11 हैं. इनमें 2 उप जेल हरिद्वार और उधम सिंह नगर में अलग से हैं. हरिद्वार, सितारगंज, अल्मोड़ा, देहरादून, रुड़की, पौड़ी और टिहरी के जेलों में नामी कुख्यात अपराधी सजा काट रहे हैं. वहीं, हरिद्वार, रुड़की, पौड़ी, अल्मोड़ा व हरिद्वार के जेलों में बंद कैदियों द्वारा आपराधिक नेटवर्क संचालित करने का पर्दाफाश राज्य की एसटीएफ (Special Task Force) कर चुकी है. लेकिन इसके बावजूद जेलों में पर्याप्त संसाधन और मैन पावर की कमी से आपराधिक गतिविधियां रोकना चुनौती बना हुआ है. राज्य की 11 जेलों में मानकों के अनुसार कैदियों को रखने के निर्धारित संख्या 3,540 है. लेकिन वर्तमान समय में राज्य की जेलों में मानक से अधिक 6,700 से अधिक कैदी हैं.
सीसीटीवी कैमरों की कमी:उत्तराखंड के जेलों को सीसीटीवी कैमरा सर्विस लांस से जोड़कर मॉनिटरिंग के दावे लंबे समय से किए जा रहे हैं. लेकिन हैरानी की बात है कि अब तक राज्य में केवल 11 जिलों में से 3 जिलों में ही सीसीटीवी कैमरा और बॉडी कैम जैसे सर्विस लांस की सुविधा बनाई गई है. जबकि राज्य के बाकि 8 जेलों में सीसीटीवी कैमरा लगाने के लिए जेल विभाग शासन से बजट पारित न होने की बात कह रहा है. जबकि योजना के मुताबिक राज्य के सभी जेलों में 300 से अधिक सीसीटीवी कैमरा और कैदियों पर नजर रखने के लिए बंदी रक्षकों के शरीर में बॉडी कैम को लगाने की दावे काफी समय से किए जा रहे हैं.