ऋषिकेश: भारतीय संस्कृति और दर्शन हमेशा से पूरी दुनिया को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है. भारतीय संस्कृति और गंगा की दिव्यता से प्रभावित होकर अमेरिका की एक 25 वर्षीय लड़की को यहां रचने और बसने को मजबूर कर दिया. जो 23 साल से तीर्थनगरी के शांत आभा मंडल में आधात्म को महसूस कर रही हैं. साध्वी का जीवन जीते हुए वे रामझूला के परमार्थ निकेतन आश्रम में रहते हुए अपनी निरंतर सेवाएं दे रही हैं. साथ ही जन कल्याण के कार्यों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेकर अपने जीवन को सार्थक कर रही हैं.
साध्वी भगवती मूलरूप से अमेरिकन की रहने वाली हैं. लेकिन सन्यास धारण करने के बाद वह भारत में ही रहती हैं और भारतीय नागरिकता भी ले ली है. उनका कहना है कि उनका शरीर भले ही अमेरिकन हो लेकिन उनका दिल और मन पूर्ण रूप से हिंदुस्तानी है. उन्होंने बताया कि वह ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ते हुए ग्रेजुएशन हैं. ग्रेजुएशन करने के बाद अमेरिका के एक ग्रुप के साथ वह भारत घूमने के लिए आई थी.
घूमते हुए वे ऋषिकेश पहुंची जहां उन्होंने ऋषिकेश में परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानंद सरस्वती से मुलाकात हुई थी. जहां उन्होंने उनसे कई सवाल पूछे, वहीं गंगा आरती में शामिल होने के बाद शादी भगवती को गंगा की दिव्यता इतनी भायी की उन्होंने अपना सब कुछ त्याग कर यही रहने का मन बना लिया.
पढ़ें-ये है मास्टरजी का घर, यहां 700 रूपों में विराजते हैं गणपति बप्पा
25 साल की उम्र में ऋषिकेश पहुंची और साध्वी भगवती को यहां रहते हुए 23 वर्ष हो चुके हैं. वे 23 वर्षों से लगातार परमार्थ निकेतन आश्रम में रहकर एक साध्वी का जीवन यापन कर रही हैं और सभी को भारतीय संस्कृति से रूबरू करा रही हैं. साध्वी भगवती बताती है कि उनके परिवार में उनके माता और पिता हैं. हालांकि जब वे माता पिता को छोड़कर आ रही थी तो उनके भीतर छोड़ने का दु:ख भी था.
अमेरिका की इस लड़की को भायी भारतीय संस्कृति लेकिन जिस ओर वे बढ़ना चाहती थी वह उससे अधिक ही महत्वपूर्ण लगा. वहीं उनके माता-पिता को भी काफी दु:ख हो रहा था क्योंकि साध्वी भगवती अपने माता-पिता की इकलौती पुत्री हैं. इनके अलावा उनकी कोई संतान नहीं है. हालांकि साध्वी भगवती के समझाने बुझाने पर माता-पिता मान गए. आज साध्वी भगवती भगवती पिछले 23 वर्षों से ऋषिकेश में रह रही हैं और उनका अपने परिवार से कोई भी मोह नहीं है. साध्वी भगवती बताती हैं कि जब यह पहली बार भारत आई तो उन्हें ऐसा लगा कि उनका यहां से पुराना नाता है.
यही कारण रहा कि उन्होंने भारत में रहने की ठानी और यहां की संस्कृति को बारीकी से जाना. साध्वी भगवती ने बताया कि उन्होंने 23 वर्षों से ऋषिकेश के गंगा किनारे पर रहते हुए उन्होंने जो कुछ भी अर्जित किया है अपने उस ज्ञान को एक बुक के माध्यम से लोगों तक पहुंचाता हैं. यही कारण है कि उन्होंने एक पुस्तक लिखी जिसका नाम "कम होम टू योरसेल्फ" है. इस पुस्तक में उन्होंने इंसानी जीवन के हर उस सवाल का जवाब देने का प्रयास किया है, जिसमें इंसान की पूरी जिंदगी बीत जाती है. उन्होंने आगे बताया कि इस पुस्तक को लिखने में उनको 2 वर्ष से भी अधिक का समय लगा है आज यह पुस्तक amazon स्टोर पर भी उपलब्ध है. वहीं इस पुस्तक को पब्लिश करने वाले कंपनी पेंगुइन आनंदा है.
पुस्तक के सभी इस समय यह बताने की कोशिश की गई है कि इंसान के जीवन में क्या कुछ महत्वपूर्ण है उसका मन क्या सोचता है उसके जीवन का उद्देश्य क्या है उसकी भावनाएं कितनी है चाहे अपने माता-पिता के प्रति हो चरण भाई-बहन के प्रति हो मित्रों के प्रति हो भावनाएं किस तरह की होती हैं. किस तरह उन को सोचना चाहिए. वहीं आध्यात्मिक रूप से यह जीवन कैसा दिखता है.
आध्यात्मिक क्या है इन सभी विषयों पर एक बारीकी से इस पुस्तक में शामिल किया गया है. साध्वी भगवती ने भारतीय दर्शन को अपने में उतार लिया है. आज वे हिन्दी में ही लोगों से वार्तालाब करती हैं. उन्होंने बताया कि अपने आने वाले जीवन को भी वे इसी तरह से लोगों मैं समर्पित रखेंगी और सेवा भाव से लगातार लोगों की सेवा करते हुए अध्यात्म का ज्ञान बांटेंगी.