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शासन को प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों का ब्यौरा नहीं देते IFS अफसर, इन अधिकारियों ने अनुमति के बाद भी नहीं ली ट्रेनिंग

IFS officers do not give details of training In Uttarakhand भारत सरकार अफसरों के प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों पर जोर तो दे रही है, लेकिन प्रशिक्षण पाने वाले अधिकारी अपने अनुभव को शासन के साथ साझा नहीं कर रहे. इतना ही नहीं कई अधिकारी तो अनुमति मिलने के बाद भी प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों में शामिल होने के लिए नहीं पहुंच रहे. लिहाजा इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों से राज्य को क्या लाभ मिल रहा है, इसका कोई रिकॉर्ड तैयार ही नहीं हो पा रहा.

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IFS अफसर समाचार

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Dec 22, 2023, 9:21 AM IST

Updated : Dec 22, 2023, 4:14 PM IST

देहरादून: देश में पिछले कुछ सालों के दौरान अधिकारियों के प्रशिक्षण कार्यक्रमों में तेजी लाई गई है. सरकार की कोशिश है कि ऐसे कार्यक्रमों के जरिए क्रिएटिव आइडियाज को साझा किया जाए और इसका लाभ देश भर में काम करने वाले विभिन्न अधिकारियों के जरिए प्रदेशों तक पहुंच सके. इंडियन फॉरेस्ट सर्विस के मामले में भी कुछ ऐसे ही प्रशिक्षण पाठ्यक्रम समय-समय पर तैयार किए जाते हैं और भारत सरकार इसके लिए देशभर के विभिन्न अधिकारियों को प्रशिक्षण में शामिल होने के लिए नामित भी करती है.

इन अफसरों ने अनुमति मिलने पर भी प्रशिक्षण नहीं लिया.

प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों का ब्यौरा नहीं देते IFS अफसर: वहीं, उत्तराखंड में आईएफएस अधिकारियों के ऐसे प्रशिक्षण का कितना लाभ राज्य को मिल रहा है, इसकी जानकारी सरकार के पास नहीं है. दरअसल प्रदेश से प्रशिक्षण के लिए जाने वाले विभिन्न इंडियन फॉरेस्ट सर्विस के अधिकारी प्रशिक्षण पाने के बाद शासन को कोई लेखा-जोखा नहीं देते. यानी प्रशिक्षण के दौरान उन्होंने क्या अनुभव लिया या इस दौरान क्या नए आइडिया और तकनीक के बारे में उन्होंने सीखा, इसकी कोई रिपोर्ट शासन को उनके द्वारा नहीं दी जाती. जाहिर तौर पर इस स्थिति के चलते शासन को यह ज्ञात ही नहीं हो पता कि कौन सा अधिकारी क्या सीख कर आया है और किसी अधिकारी का किस योजना के लिए महत्वपूर्ण उपयोग किया जा सकता है.

इन अफसरों ने अनुमति मिलने पर भी प्रशिक्षण नहीं लिया.

कई अफसर अनुमति के बाद भी नहीं लेते प्रशिक्षण: उधर, दूसरी तरफ कई इंडियन फॉरेस्ट सर्विस के अधिकारी ऐसे भी हैं, जो भारत सरकार के प्रशिक्षण कार्यक्रमों में हिस्सा नहीं ले रहे. दरअसल, कई अधिकारियों को प्रशिक्षण में जाने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से नामित भी किया जाता है और राज्य सरकार की तरफ से उन्हें अनुमति भी दी जाती है, लेकिन इसके बावजूद वह प्रशिक्षण के लिए नहीं पहुंचते. जानिए पिछले 6 महीने में किन-किन अधिकारियों ने प्रशिक्षण की अनुमति मिलने के बाद भी उन्होंने इसमें हिस्सा नहीं लिया.

इन अफसरों ने अनुमति मिलने पर भी प्रशिक्षण नहीं लिया.

वन विभाग से मिली सूचना के अनुसार, इन अफसरों ने अनुमति मिलने पर भी प्रशिक्षण नहीं लिया-

  1. पिछले 6 महीने में कुल 50 अधिकारियों को नामित किए जाने के बाद दी गई प्रशिक्षण की अनुमति.
  2. इनमें 15 अधिकारियों ने अनुमति मिलने के बाद भी प्रशिक्षण में नहीं लिया हिस्सा.
  3. कई अधिकारियों ने हिस्सा न लेने का बताया कारण तो कुछ ने नहीं दी कोई जानकारी.
  4. आईएफएस अधिकारी भवानी प्रकाश गुप्ता, साकेत बडोला, रमेश कांडपाल, राहुल, कहकशा नसीम ने प्रशिक्षण में हिस्सा नहीं लिया.
  5. नीना ग्रेवाल, संदीप कुमार, चंद्रशेखर जोशी, कल्याणी, विनय भार्गव, रंजन कुमार मिश्र, मधुकर धकाते भी प्रशिक्षण लेने नहीं पहुंचे.
  6. दीपचंद आर्य, मयंक शेखर झा और गिरजा शंकर पांडे ने प्रशिक्षण में नहीं लिया हिस्सा.
  7. चार आईएफएस अधिकारियों की सूची में न जाने की भी नहीं दी गई कोई जानकारी.
  8. कई अधिकारियों ने शासकीय कार्यों में व्यस्तता को बताया कारण.

आईएफएस अफसरों के प्रशिक्षण को लेकर ठोस नीति की जरूरत:भारत सरकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम में आईएफएस अधिकारियों के हिस्सा न लेने के पीछे कुछ कारण हो सकते हैं, लेकिन जो अधिकारी बिना वजह के भी प्रशिक्षण लेने के लिए नहीं पहुंचे, उनको लेकर ठोस नीति बनाने की आवश्यकता दिखाई दे रही है. इस मामले पर ईटीवी भारत ने प्रमुख सचिव वन आर के सुधांशु से बात की तो उन्होंने बताया कि शासन की तरफ से प्रशिक्षण पर जाने को लेकर वन मुख्यालय से सूचनाएं मांगी हैं और सूचनाओं के आधार पर आगे प्रशिक्षण को लेकर गाइडलाइन तैयार की जाएगी.

इन अफसरों ने अनुमति मिलने पर भी प्रशिक्षण नहीं लिया.

IFS अफसरों को लेकर यह बनाई जा सकती है व्यवस्था:इंडियन फॉरेस्ट सर्विस के अफसर के प्रशिक्षण को लेकर जिस तरह की चर्चाएं आई हैं, उसके बाद अधिकारियों के प्रशिक्षण को अनिवार्य किए जाने के साथ प्रशिक्षण के बाद शासन स्तर पर उनकी रिपोर्ट सबमिट किए जाने का प्रावधान किया जा सकता है. इसके अलावा शासन इन्हीं रिपोर्ट के आधार पर तमाम परियोजनाओं में उपयोगी और अनुभव लेने वाले अधिकारियों को बतौर परियोजना अफसर उपयोग में ला सकती है. इसके अलावा अधिकारियों की प्रशिक्षण को लेकर जवाबदेही भी तय की जा सकती है, ताकि ऐसे प्रशिक्षण पाठ्यक्रम केवल पिकनिक का मौका बनकर न रह जाएं बल्कि इससे अधिकारी कुछ सीख कर आएं और उसका लाभ राज्य को मिले.
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Last Updated : Dec 22, 2023, 4:14 PM IST

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