उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

Joshimath Sinking: जोशीमठ पुनर्वास के लिए जीएसआई ने चुने 4 स्थान, देखिए लिस्ट - joshimath crisis

जोशीमठ को भू धंसाव के कारण खाली करना पड़ रहा है. भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण की टीम को जोशीमठ भू धंसाव प्रभावितों को विस्थापित करने के लिए भूमि चयन करने का जिम्मा सौंपा गया था. जीएसआई ने चार स्थान चिन्हित कर लिए हैं.

joshimath rehabilitation news
जोशीमठ पुनर्वास समाचार

By

Published : Jan 17, 2023, 10:29 AM IST

देहरादून: भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) की एक विशेषज्ञ टीम ने जोशीमठ के विस्थापितों के लिए चार स्थान चुने है. टीम को जोशीमठ के प्रभावित निवासियों के पुनर्वास के लिए संभावित क्षेत्रों का अध्ययन करने का काम सौंपा गया है. टीम ने आसपास के चार स्थानों- कोटी फार्म, पीपलकोटी, जड़ी बूटी अनुसंधान और विकास संस्थान (एचआरडीआई) की जमीन और ढाक गांव को मंजूरी दे दी है. दो अन्य स्थानों- गौचर शहर और सेलंग गांव के लिए सर्वे अभी जारी है.

जीएसआई ने इन चार स्थानों को चुना: कोटी फार्म राजस्व भूमि पर है और जोशीमठ से लगभग 12 किमी दूर है. औली का एक रास्ता कोटी फार्म से भी जाता है. दूसरा विकल्प पीपलकोटी है, जो जोशीमठ से लगभग 36 किलोमीटर दूर है, जिसके पास एक विशाल भूमि है. एचआरडीआई के स्वामित्व वाली भूमि जोशीमठ, निकटतम स्थान से लगभग 9 किमी दूर है.

जोशीमठ के विस्थापित लोगों को स्थानांतरित करने के लिए जड़ी बूटी अनुसंधान और विकास संस्थान के स्वामित्व वाली भूमि का एक बड़ा हिस्सा इस्तेमाल किया जा सकता है. वहीं ढाक गांव की जमीन मलारी रोड पर है और जोशीमठ से 12 किमी दूर है. जमीन राजस्व विभाग की है.

गौचर में भी चल रहा सर्वे का काम: इस बीच जोशीमठ से करीब 90 किलोमीटर दूर गौचर में सर्वे का काम चल रहा है. ये स्थान गौचर मेला के लिए जाना जाता है. इस क्षेत्र में भूमि का एक बड़ा टुकड़ा है जिसका उपयोग उन परिवारों के पुनर्वास के लिए किया जा सकता है, जिन्होंने अपने घरों को छोड़ दिया है जो या तो टूट रहे थे या ढहने की कगार पर थे. हालांकि, जोशीमठ से दूरी होने के कारण विस्थापित परिवारों को गौचर में स्थानांतरित करने में एक प्रमुख बाधा हो सकती है. एक अन्य विकल्प सेलांग गांव है, जो प्रभावित क्षेत्रों से सिर्फ 13 किमी की दूरी पर स्थित है.

जोशीमठ में 800 से ज्यादा घरों में आई दरारें: हालांकि अधिकारी अभी इस पर चुप्पी साधे हुए हैं, लेकिन सूत्रों ने कहा कि हर बीतते दिन के साथ घरों में दरारें पड़ने की संख्या बढ़ रही है. सोमवार को यह 800 के आंकड़े को पार कर गया. इसलिए, अधिकारी पुनर्वास प्रक्रिया के लिए कम से कम छह अलग-अलग स्थानों पर विचार कर रहे हैं. विस्थापितों के लिए स्थान चयन करने में शामिल एक अधिकारी ने कहा, जीएसआई द्वारा सर्वेक्षण यह सुनिश्चित करने के लिए था कि इन छह स्थानों पर जोशीमठ जैसी स्थिति उत्पन्न न हो.
ये भी पढ़ें: Joshimath Sinking: दरार वाले मकानों की संख्या 826 हुई, क्रैक के चलते झुके दो और होटल

आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सचिव ने क्या कहा: उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने कहा कि हालांकि जीएसआई ने अभी तक अपनी औपचारिक रिपोर्ट नहीं दी है, लेकिन उसने चार स्थानों को मंजूरी दे दी है. उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार की मंजूरी के बाद अधिकारी विस्तृत पुनर्वास योजना तैयार करेंगे.

ABOUT THE AUTHOR

...view details