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इतिहास में पहली बार बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि में बदलाव, जानिए धाम से जुड़ी कुछ रोचक बातें - देहरादून न्यूज़

देवभूमि उत्तराखंड की पौराणिक चारधाम यात्रा में पहली बार बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि एक बार तय होने के बाद दोबारा तय की गई है. इस स्पेशल रिपोर्ट में जानिए कि आखिर क्या है 108 बैकुंठधाम बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की धार्मिक परंपराएं, जो सदियों से चली आ रही है.

बदरीनाथ धाम
बदरीनाथ धाम

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Published : Apr 20, 2020, 7:19 PM IST

Updated : Apr 20, 2020, 7:59 PM IST

देहरादून: बसंत पंचमी के दिन टिहरी के राजपरिवार के पुरोहितों की ओर से भगवान बदरीविशाल के कपाट खोले जाने की तिथि तय की जाती है. पिछले कई सालों की तरह इस साल भी बसंत पंचमी के दिन राजघराने में विधि विधान से पूजा अर्चना करने के बाद टिहरी नरेश की मौजूदगी में शुभ मुहूर्त में भगवान बदरीविशाल के कपाट खोले जाने का समय तय किया गया था.

बदरीनाथ धाम से जुड़ी कुछ रोचक बातें

इस सीजन 30 अप्रैल को सुबह ब्रह्म बेला में भगवान बदरीविशाल के कपाट मंत्र उच्चारण और पूरे विधि विधान के साथ आम श्रद्धालुओं के लिए खोले जाने की तिथि तय की गई थी. लेकिन कोरोना वायरस(कोविड-19) के चलते तिथि आगे के लिए बढ़ा दी गई है.

बदरीनाथ धाम के कपाट खोलने की तिथि तय करने का अधिकार टिहरी नरेश और टिहरी के राजपरिवार को ही प्राप्त है. लिहाजा दोबारा लंबे मंथन के बाद बदरीनाथ धाम के कपाट खोलने की तिथि तय की गई है. जिसका मुख्य कारण ये बताया गया कि धाम के रावल दूसरे प्रांत से उत्तराखंड पहुंचे हैं. लिहाजा केंद्र सरकार के लॉकडाउन के नियमों का पालन करने के चलते उनको 14 दिन के लिए क्वारंटाइन किया गया है. जिसके चलते कपाट खोले जाने की तिथि 30 अप्रैल से बढ़ाकर 15 मई कर दी गई है.

तिथि घोषित करने की प्रक्रिया

बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर बदरीनाथ धाम के कपाट खोले जाने की तिथि घोषित करने के लिए पूजा अर्चना की जाती है और तिथि तय की जाती है, वो एक मनमोहक नजारा होता है. क्योकि राज परिवार की महिलाओं द्वारा गाडूघड़ा तेल कलश तैयार किया जाता है. जिसमें तिल से तेल को पीरोंकर एक कलश तैयार किया जाता है. उसके बाद फिर पूरे विधि-विधान से राज दरबार में ही पूजा की जाती है.

इसके बाद गाडूघड़ा तेल कलश को लेकर डिमरी धार्मिक पंचायत के लोग जोशीमठ, पांडुकेश्वर से होते हुए भगवान बदरीविशाल के कपाट खुलने से ठीक एक दिन पहले पावन धाम पहुंचते हैं. लिहाजा तय तिथि के अनुसार, भगवान बदरीविशाल की वैदिक मंत्र उच्चारण से पूजा अर्चना करने के बाद ब्रह्म मुहूर्त में श्रद्धालुओं के लिए कपाट खोल दिए जाते हैं. सालों से चली आ रही इस धार्मिक परंपरा के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है जब बदरीविशाल के कपाट खोलने की तिथि में संशोधन किया गया है.

डिमरी धार्मिक पंचायत के अध्यक्ष आशुतोष डिमरी ने बताया कि अब बदरीनाथ धाम के कपाट खोले जाने के लिए राजपरिवार से तेल एकत्र होने की परंपरा यानी गाडूघड़ा तेल कलश जोशीमठ के लिए रवाना किया जाएगा. डिमर गांव से होते हुए 14 मई की शाम तक गाडूघड़ा तेल कलश बदरीनाथ धाम पहुंचाया जाएगा. जिसके बाद 15 मई को सुबह ब्रह्म मुहूर्त में 4:30 बजे पूजा आराधना के बाद भगवान बदरीविशाल के कपाट खोल दिए जाएंगे.

पढ़े: बदरी-केदार धाम के इतिहास में पहली बार 15 दिन लेट खुलेंगे कपाट, जानें बड़ी वजह

आशुतोष डिमरी ने बताया कि श्रीहरि विष्णु भगवान के धाम में 15 मई से नियमित रूप से सुबह दोपहर और शाम की आरती का सिलसिला भी शुरू हो जाएगा. बावजूद इसके यात्रा सीजन ठीक से शुरू हो पाएगी या नहीं इसके लिए अभी श्रद्धालुओं को थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा, क्योकि 3 मई को लॉकडाउन की तिथि खत्म होने के बाद केंद्र सरकार आखिर क्या फैसला लेती है? चारधाम यात्रा इस पर निर्भर करेगी.

धार्मिक मान्यताएं हैं कि उत्तराखंड के चारो धामों में सबसे पहले यमुनोत्री और गंगोत्री धाम के कपाट खोले जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ धाम के कपाट और फिर भगवान बदरीविशाल के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाते हैं. चारों धामों के कपाट खोले जाने की तिथि तय किए जाने का भी एक महत्वपूर्ण समय होता है. जबकि कपाट बंद करने का समय भी धार्मिक परंपराओं के हिसाब से ही तय किया जाता है.

Last Updated : Apr 20, 2020, 7:59 PM IST

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