जयपुर/देहरादून: योग गुरु बाबा रामदेव ने कोरोना संक्रमण को शत-प्रतिशत ठीक करने वाली दवा बाजार में उतारने के बाद सियासत तेज होने के साथ ही कई सवाल उठ रहे हैं. बाबा रामदेव की कोरोना वायरस की दवा 'कोरोनिल' के क्लिनिकल ट्रायल को लेकर मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. पहले जहां जयपुर के गांधी नगर थाने में आरटीआई कार्यकर्ता डॉ. संजीव गुप्ता ने परिवाद दिया तो वहीं अब अधिवक्ता बलराम जाखड़ और अंकित कपूर ने ज्योतिनगर थाने में केस दर्ज करवाया है.
कोरोना की दवा 'कोरोनिल' का ऐलान कर दुनिया भर में तहलका मचाने वाले बाबा रामदेव और निम्स के डॉ. बलवीर सिंह तोमर, आचार्य बालकृष्ण, डॉ, अनुराग तोमर और अनुराग वार्णय के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाई गई है. जिसमें अधिवक्ता बलराम जाखड़ ने आरोप लगाया है की, निम्स में भर्ती नॉर्मल मरीजों पर ये रिसर्च किया गया था और निम्स यूनिवर्सिटी के सहयोग से कोविड-19 की दवा बनाई गई है.
दर्ज FIR के अनुसार अधिवक्ता बलराम जाखड़ ने कहा कि, वर्तमान में केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने कोविड-19 को महामारी और राष्ट्रीय आपदा घोषित किया हुआ है. वहीं इसके लिए विभिन्न अधिसूचनाएं भी समय-समय पर जारी की हुई हैं. इन अधिसूचनाओं में कोविड-19 के तहत किसी भी प्रकार के भ्रामक और गलत तथ्य प्रस्तुत करने पर रोक है. वहीं कोविड-19 से बचाव के उपचार के संबंधित क्वॉरेंटाइन सेंटर बनाए गए हैं. जहां कोविड-19 से संक्रमितों को 14 दिन तक रखा जाता है और अति गंभीर मरीजों का अस्पताल में इलाज होता है. मरीजों की कोविड-19 का प्रशिक्षण राज्य सरकार की तरफ से ही किया जाता है और इसमें 5 से 7 दिन का समय लगता है.