देहरादून:उत्तराखंड राज्य अपने विषम भौगोलिक परिस्थितियों के साथ-साथ भूकंप के लिहाज से भी बेहद संवेदनशील है. वहीं, अगर उत्तराखंड के 13 जिलों की बात करें तो उत्तरकाशी, चमोली, टिहरी और पिथौरागढ़ के क्षेत्र भूकंप के लिहाज से अतिसंवेदनशील क्षेत्रों की श्रेणी में आते हैं. यही कारण है कि इन जिलों के क्षेत्रों में अक्सर भूकंप के झटके महसूस किए जाते रहते हैं. इसी तरह बीते मंगलवार को पीओके में आए भूकंप के झटके राजधानी देहरादून समेत प्रदेश के कई हिस्सों में भी महसूस किये गये. हालांकि उत्तराखंड में यह झटका बहुत ही कम तीव्रता का था.
देहरादून स्तिथ वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान के अनुसार पाक अधिकृत कश्मीर में आये भूकम्प का केंद्र बिंदु पाकिस्तान के मीरपुर से तीन किलोमीटर साउथ वेस्ट की तरफ था. यह भूकंप 6.2 मैग्नीट्यूड का था, जो जमीनी सतह से करीब 35.5 किलोमीटर नीचे से आया था. साथ ही बताया कि इंडियन प्लेट का यूरेशियन प्लेट के भीतर घुसने की वजह से ही पूरे हिमालय में तनाव पैदा हो रहा है. यही नहीं हर साल इंडियन प्लेट, यूरेशियन प्लेट के भीतर 40 से 50 मिलीमीटर तक क्लोइड कर रहा है. जिस वजह से ही कश्मीर, नेपाल और पाकिस्तान में भूकंप आ रहे है. यही वजह है कि इससे पहले पाकिस्तान में साल 2005 में जो भूकंप आया था, वह भूकंप 7.6 मेग्नीट्यूड का था.
वाडिया के वैज्ञानिक डॉ. सुशील कुमार रूहेला ने बताया कि जब दो या दो से अधिक प्लेटें टकराती हैं या फिर प्लेटों के बीच घर्षण होता है तो उससे उस क्षेत्र में तनाव पैदा है. जिस वजह से भूकंप आता है. साथ ही बताया कि जो भूकंप हिमालय क्षेत्रों में आते हैं उसे टेस्टानिक भूकंप कहते हैं. सामान्यत हिमालय क्षेत्रों में जो भूकंप आते हैं, उसका केंद्र बिंदु जमीन की सतह से 10 से 20 किलोमीटर नीचे होता है.
भूकंप के पूर्वानुमान के लिए नही है कोई तकनीकी