उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

गाय के गोबर से बने दीये बनाएंगे आपकी दीपावली खास, रोजगार का बना जरिया - दीपावली का त्यौहार

ऋषिकेश में हरीश ढौंडियाल ने गोबर को अपने रोजगार का साधन बनाया है. जहां गाय के गोबर से ऑर्गेनिक दीये, भगवान की मूर्तियां और गमले आदि तैयार किए जा रहे हैं. जो रोजगार का साधन भी बन रहा है.

rishikesh news
गोबर के दीयों से दिवाली

By

Published : Nov 10, 2020, 12:29 PM IST

Updated : Nov 10, 2020, 1:27 PM IST

ऋषिकेशःउत्तराखंड में पहाड़ों से हो रहे पलायन को अब गोबर के माध्यम से रोक लगने की उम्मीद है. ऋषिकेश के रहने वाले हरीश ने गोबर को अपने रोजगार का साधन बना लिया है. इतना ही नहीं हरीश अपने साथ-साथ ग्रामीण महिलाओं को भी इसके माध्यम से रोजगार दे रहे हैं. जहां हरीश गोबर से दीये, मूर्तियां, सीनरी और गमले समेत कई प्रकार के सामान तैयार कर रहे हैं. जो न केवल दिवाली को खास बना रहे हैं. बल्कि, कई लोगों को घर बैठे रोजगार भी मिल रहा है.

गाय के गोबर से बने दीये बनाएंगे आपकी दीपावली खास.

उत्तराखंड में पशुपालकों के लिए अच्छी खबर है. राज्य में पशुपालक अब थोड़ी सी मेहनत करके गोबर से भी अपना बिजनेस शुरू कर सकते हैं. सुनने में भले ही अजीब लगे, लेकिन यह हकीकत है. दरअसल, ऋषिकेश स्थित गंगा नगर निवासी हरीश ढौंडियाल ने रायवाला स्थित प्रतीक नगर में गोबर को अपने रोजगार का साधन बना लिया है. हरीश ने गोबर से ऑर्गेनिक दीपक, भगवान की मूर्तियां और गमले बनाने की कला सीख ली है. हरीश ने गोबर से अपना छोटा सा उद्योग शुरू किया है. जिसमें गांव के ही करीब आधा दर्जन लोगों को भी घर के पास ही रोजगार मिलना शुरू हो गया. इतना ही नहीं जिन पशुपालकों से हरीश गोबर लेते हैं, उन्हें भी गोबर के बदले कीमत चुकाते हैं. इससे पशुपालकों को भी गोबर से भी आय हो रही है.

गोबर से बनी मूर्तियां.

ये भी पढ़ेंःअंधविश्वास: दिवाली पर उल्लू की आ जाती है शामत, जानिए बलि का मिथक

बता दें कि हरीश दिल्ली की एक नामी कंपनी में मैनेजर की पोस्ट पर तैनात थे. बावजूद इसके उन्होंने अपनी मोटी सैलरी का मोह छोड़कर राज्य से लगातार हो रहे पलायन पर अपनी चिंता जाहिर की. एक साल पहले हरीश ने गोबर से ऑर्गेनिक सामान बनाने की इलाहाबाद में ट्रेनिंग ली. अब हरीश अपनी इस कला को राज्य के बेरोजगार युवाओं को सिखाने की इच्छा जता रहे हैं. उनका कहना है कि यदि सामाजिक संस्थाएं और सरकार सहयोग दे तो उत्तराखंड के हर घर में एक छोटा सा उद्योग गोबर के माध्यम से लगाया जा सकता है.

गोबर से खास दिवाली.

इस तरह तैयार होते हैं गोबर से दीये और मूर्तियां

हरीश ने बताया कि दीपक बनाने के लिए पहले गाय के गोबर को इकट्ठा किया जाता है, उसके बाद करीब ढाई किलो गोबर के पाउडर में एक किलो प्रीमिक्स और गोंद मिलाते हैं, गीली मिट्टी को छानने के बाद हाथ से उसे गूंथा जाता है. शुद्धि के लिए इनमें जटा मासी, पीली सरसों, विशेष वृक्ष की छाल, एलोवेरा, मेथी के बीज, इमली के बीज आदि को मिलाया जाता है. इसमें 40 फीसदी ताजा गोबर और 60 प्रतिशत सूखा गोबर इस्तेमाल किया जाता है. इसके बाद गाय के गोबर के दीपक का खूबसूरत आकार दिया जाता है.

इतना ही नहीं कुछ महीने पहले शुरू हुए इस उद्योग से ऋषिकेश के आश्रम वासी काफी प्रभावित हैं. नतीजा यह है कि हरीश आश्रमों से आने वाली दीयों की डिमांड पूरी नहीं कर पा रहे हैं. इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यदि यह रोजगार गांव-गांव में पहुंचा तो उत्तराखंड से पलायन तो रुकेगा ही साथ ही बेरोजगारों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे.

Last Updated : Nov 10, 2020, 1:27 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details