देहरादून: सुप्रीम कोर्ट से एसएलपी वापस (Dhami government on SLP case) लिए जाने पर हुए राजनीतिक बवाल के बाद आखिरकार धामी सरकार ने कदम पीछे खींच लिए हैं. शासन ने अब हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई एसएलपी को यथावत रखने का फैसला (Decision to keep SLP intact) ले लिया है. जिसके लिए बकायदा शासन की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को देख रहे एडवोकेट को पत्र भेज दिया गया है.
उत्तराखंड में पिछले 24 घंटों के दौरान राजनीतिक रूप से निर्दलीय विधायक उमेश कुमार वर्सेस उत्तराखंड सरकार से जुड़ी वह याचिका चर्चाओं में रही जिसमें उत्तराखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में ना लड़ने का फैसला किया था. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से एसएलपी वापस लेने की बात सामने आने के बाद से ही भाजपा के भीतर भारी द्वंद दिखाई दे रहा था.
सरकार की तरफ से एडवोकेट को भेजा गया पत्र. बता दें कि 2020 में उत्तराखंड सरकार ने हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी लगाई थी, जिसमें हाई कोर्ट ने उमेश कुमार से राजद्रोह का मामला हटाने और त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) से जुड़े एक मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए थे. हालांकि, इस मामले में त्रिवेंद्र सिंह रावत निजी रूप से सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी लगा चुके थे, लेकिन उस दौरान त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्री होने के चलते उत्तराखंड सरकार ने भी इस पर एसएलपी लगाई थी.
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खबर है कि अब धामी सरकार ने त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) पर सीबीआई जांच और उमेश कुमार से राजद्रोह हटाने के इस मामले में विवाद को बढ़ता देख कदम पीछे खींच लिए हैं. इस मामले पर बकायदा शासन ने सुप्रीम कोर्ट के सरकार के वकील को एसएलपी के यथावत रखे जाने का पत्र भी भेज दिया है. वहीं, त्रिवेंद्र सिंह रावत पिछले 2 दिनों से लगातार दिल्ली में हैं. बताया जा रहा है कि वह पुष्कर सिंह धामी सरकार के इस तरह खुद से जुड़े मामले पर याचिका वापस लेने से नाराज थे. ऐसे में भारी दबाव के बाद सरकार को अपने इस फैसले को वापस लेना पड़ा है.