देहरादून:आंखों में आंसू, चेहरे पर उदासी और मन में उमड़ते ढेरों सवाल, लॉकडाउन के दौर में उपजे मुश्किल हालातों ने राजधानी के ऑटो-रिक्शा चालकों को तोड़ कर रख दिया है. ऐसे में हताश, निराश और परेशान ऑटो-रिक्शा चालकों के सामने जिंदगी की गाड़ी खीचने का कोई और जरिया नहीं बचा है. हर बीतते दिन के साथ इनका सब्र, सहूलियतों और जरुरतों के आगे घुटने टेकने लगा है.
इस मुश्किल दौर में ऑटो रिक्शा चालकों के हालात और उनके दर्द को समझने के लिए पहले ईटीवी भारत ऑटो-रिक्शा चालकों के परिवार के बीच पहुंचा था, जहां से हमने इन मजबूर परिवारों के दर्द से आपको रुबरु करवाया था, आज हमने कभी ऑटो रिक्शा यूनियन के अगवा रहे पूर्व अध्यक्ष पंकज अरोड़ा से बातचीत की, जिसमें हमने हकीकत के साथ ही राजधानी की 'लाइफलाइन' के आंकड़ों के बारे में जानकारी ली.
उन्होंने बताया देहरादून में लगभग 2392 ऑटो-रिक्शा का संचालन होता है. ये ऑटो-रिक्शा चालक तपती धूप, बारिश और कड़कड़ाती सर्दी में दिन रात मेहनत करते हैं और उन्हें मिलता है मात्र 500 से 600 रुपए, जिससे इनका गुजर बसर चलता है. मगर लॉकडाउन के कारण लगे ब्रेक ने इनसे ये सब छीन लिया है. जिससे कारण इनके सामने अब रोजी और रोटी दोनों का ही संकट खड़ा हो गया है.
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