फर्जी रजिस्ट्री घोटाले में फॉरेंसिक एक्सपर्ट गिरफ्तार देहरादून:फर्जी रजिस्ट्री घोटाले में शामिल एक और आरोपी अजय मोहन पालीवाल को पुलिस ने हरभजवाला बसंत विहार से गिरफ्तार किया गया. आरोपी एमएससी फॉरेंसिक साइंस से पास है और दूसरों की लिखावट को चेक करने के साथ खुद भी कोरे स्टांप पर पुरानी लिखावट में नए दस्तावेज तैयार करना और हस्ताक्षरों की प्रूफ रीडिंग करता था. एसआईटी की टीम अब तक इस मामले में शहर कोतवाली पुलिस में 10 मुकदमे दर्ज कर चुकी है और 13 आरोपियों की गिरफ्तारी कर चुकी है.
जानिए क्या है पूरा मामला:गौर हो कि देहरादून जिलाधिकारी सोनिका की सक्रियता के कारण पहली बार यह मामला जांच के दायरे में आया. 15 जुलाई को डीएम सोनिका ने प्रकरण पर मुकदमा दर्ज करवाया. पूरे मामले में अब तक जो प्रकरण सामने आए हैं, उसमें करोड़ों की हेराफेरी होने का अंदेशा जताया जा रहा है. वहीं सीएम पुष्कर सिंह धामी भी खुद रजिस्ट्रार कार्यालय पहुंचकर मामले की जानकारी ली थी, जिसके बाद इस मामले में एसआईटी गठित की जा चुकी है. साथ ही मामले में अलग-अलग थानों में केस भी दर्ज किए जा चुके हैं. वहीं इस मामले में 13 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है. इस प्रकरण में मनी लॉन्ड्रिंग की आशंकाओं को भी देखा जा रहा है.
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मामले में कई लोगों पर गिर चुकी है गाज:एसआईटी की टीम द्वारा संतोष अग्रवाल, दीप चन्द अग्रवाल, मक्खन सिंह, डालचंद, वकील इमरान अहमद, अजय सिंह क्षेत्री, रोहताश सिंह, विकास पांडे, कुंवर पाल उर्फ केपी, कमल विरमानी, विशाल कुमार और महेश चंद उर्फ छोटा पंडित को गिरफ्तार किया जा चुका है. ये सभी वर्तमान में न्यायिक अभिरक्षा में जिला कारागार में बंद हैं. इन लोगों से पूछताछ में कई अन्य लोगों के नाम भी सामने आए थे. जिनके खिलाफ विवेचना में साक्ष्य जोड़ते हुए कार्रवाई की जा रही है.
आरोपी के बारे में एसएसपी ने क्या कहा:एसएसपी अजय सिंह ने बताया है कि एसआईटी एसआईटी की टीम ने एक और आरोपी अजय मोहन पालीवाल को हरभजवाला बसंत विहार से गिरफ्तार किया गया. गिरफ्तार आरोपी फॉरेंसिक साइंस से एमएससी है और वो हस्ताक्षर सहित हस्त लेख एक्सपर्ट है. टीम द्वारा आरोपी से पूछताछ की जा रही है.
आरोपी है फोरेंसिक साइंस में पीजी: पूछताछ में आरोपी द्वारा बताया गया कि अजय मोहन पालीवाल ने 1988 में दून फोरेंसिक साइंस का डिप्लोमा कोर्स पत्राचार से किया था. वर्ष 1994 में DAV मुजफ्फरनगर से LLB, वर्ष 2017 में IFS पूना से PG सर्टिफिकेशन इन फोरेंसिक, वर्ष 2019 में ग्लोबल ओपन यूनिवर्सिटी दीमापुर नागालैंड से MSc फोरेंसिक किया है. अभियुक्त का चेम्बर C-35 कचहरी मुज्जफरनगर में है. अभियुक्त ने 1988 से हस्ताक्षर मिलान व हस्तलेख मिलान का प्राइवेट काम शुरू किया था. पहले वह सुभाष विरमानी का साइन कम्पेयर का काम करता था. फिर कमल विरमानी का काम भी रोहताश के माध्यम से उसके पास आने लगा.
अभियुक्त अजय मोहन पालीवाल हस्तलेख (हैंडराइटिंग), हस्ताक्षर विशेषज्ञ (सिग्नेचर एक्पर्ट) था, इसलिए कंवरपाल सिंह व ओमवीर तोमर ने अभियुक्त को फर्जी दस्तावेज तैयार करने तथा उसके एवज में अच्छी रकम देने की बात कही. इस पर अभियुक्त अजय मोहन पालीवाल मान गया. कंवरपाल व उसके अन्य साथी, ठेकेदारी के टेंडर के साथ दाखिल स्टाम्प पेपरों को, जिनमें बहुत कम लाइनें लिखी होती थी, उन्हें संबंधित कार्यालयों से प्राप्त कर उनको कार्यालय की WEED OUT की कार्यवाही में हटाकर नमक के तेजाब से धुलकर कोरा बना देते थे.
ऐसे करते थे फर्जीवाड़ा: इस कार्य के लिये बहुत पुराने मोटे वाले कागजों को गीली रुई से रगड़ते थे, जिससे स्याही कागज की पतली परत के साथ उतर जाती थी और कागज कोरा हो जाता था. फिर स्केच पेन को गीला कर उन्ही लाइनों के ऊपर लिख देते थे व अधिकारियों के हस्ताक्षर स्कैन कर कागज पर छापते थे. अभियुक्त अजय मोहन पालिवाल ने इसी तरह रक्षा सेन, फरखंदा रहमान, राजेंद्र सिंह, त्रिभुवन, दिपांकर नेगी, मांगे राम, प्रेमलाल, रामनाथ, राम चंद्र, पद्मा कुमारी, मोती लाल, चन्द्र बहादुर सिंह, गोवर्धन, सुभाष, रवि मित्तल, जगमोहन व और भी कुछ अन्य की जमीनों के फर्जी बैनामे/विलेख वसीयतें तैयार की थी. ये जमीनें रायपुर, चकरायपुर, जाखन, राजपुर रोड, क्लेमेंट टाउन, ब्रह्माणवाला, रैनापुर, नवादा आदि जगहों पर हैं.
एक फर्जी बैनामे का लेता था एक लाख रुपए: आरोपी अजय मोहन पालीवाल ने शाहनवाज के लिये DK मित्तल, शीला मित्तल वाली फर्जी वसीयत भी बनायी थी. अभियुक्त अजय मोहन पालीवाल प्रति बैनामा/ विलेख के एक लाख रुपये तक व फर्जी हस्ताक्षर करने के प्रति हस्ताक्षर 25 हजार रुपये कंवरपाल आदि से लेता था. वर्ष 2021-22 में कंवरपाल के खाते से अजय मोहन पालीवाल के खाते में फर्जी अभिलेख तैयार करने के एवज में कई लाख रुपये के ट्रांजेक्शन होना पाया गया है. पूछताछ के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी.