देहरादून:भू-माफियाओं द्वारा डालनवाला के माधोराम सोसाइटी के पास नगर निगम की भूमि को खुर्द-बुर्द करने के खिलाफ आज सोमवार को कई पार्षद नगर निगम पहुंचे और नगर आयुक्त कार्यालय के बाहर सांकेतिक धरना प्रदर्शन किया. पार्षदों ने आरोप लगाया कि नगर निगम के अधिकारियों की मिलीभगत से ही नगर निगम की जमीनों पर कब्ज़े हो रहे हैं. वहीं, नगर आयुक्त ने मौके पर पहुंचकर पार्षदों का धरना प्रदर्शन खत्म कराया. पार्षदों ने चेतावनी दी है कि अगर होली तक इस पर रोक नहीं लगी तो उग्र आंदोलन करेंगे.
पार्षद भूपेंद्र ने बताया कि जो नगर निगम क्षेत्र की जमीनों को निगम के अधिकारी और बिल्डर मिलकर खुर्द-बुर्द कर रहे हैं. उसके खिलाफ आज पार्षदों सांकेतिक धरना नगर आयुक्त कार्यालय के सामने दिया गया है. अगर यह मामला होली तक नहीं सुलझा, तो होली के बाद यह प्रदर्शन उग्र होगा. पार्षदों का आरोप है कि मामले में नगर आयुक्त ने मुकदमा दर्ज कराया है. लेकिन मुकदमे में अब तक क्या कार्रवाई हुई, वह पार्षदों को नहीं बताया गया है.
नगर आयुक्त कार्यालय के बाहर पार्षदों का धरना. पार्षदों ने बताया कि चार बीघा जमीन डालनवाला और 200 बीघे जमीन मोथरावाला में बिल्डरों द्वारा कब्जाई गई है. इसके अलावा जाखन, जोहड़ी और कैनाल रोड पर भी जमीनें खुर्दबुर्द हो रही हैं. कहीं न कहीं अधिकारियों की मिलीभगत से ही नगर निगम की जमीनों पर कब्ज़ा हो रहा है. ऐसे अधिकारियों के खिलाफ जांच होनी चाहिए और उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए.
नगर आयुक्त अभिषेक रुहेला ने बताया कि पार्षदों द्वारा भूमि के प्रकरणों में पहले कुछ शिकायत की गई थी. साथ ही नगर निगम के कर्मचारियों की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए थे. इस बारे में जो शिकायतें थीं उनके खिलाफ कार्रवाई की गई है और पार्षदों को भी जानकारी दे दी गई है. इसके अलावा हाउस टैक्स गलत तरीके से लगाया था, उस प्रकरण में भी जांच समिति बनाई गई है. जांच आने के बाद ही अग्रिम कार्रवाई की गई है. थाने में भी रिपोर्ट दर्ज करा दी गई है.
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पार्षदों से मिलने के कतरा रहे जिम्मेदार अधिकारी:3 मार्च को पार्षदों ने इस मामले में नगर आयुक्त से मुलाकात कर निगम द्वारा भू माफियाओं पर और उनके साथ मिले हुए अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा था. इस मामले में जब पार्षद 11 मार्च को नगर निगम पहुंचे तो निगम के अधिकारी और जांच कमेटी के पदाधिकारी निगम से नदारद मिले, इस पर पार्षद ने डेढ़ घंटे अधिकारियों का इंतजार किया और कई बार फोन भी किया, लेकिन अधिकारियों ने फोन रिसीव नहीं किया था.