उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

कोरोना ने तोड़ी होटल इंडस्ट्री की कमर, सरकारी मरहम की है जरूरत

पर्यटन पर आधारित उत्तराखंड राज्य में होटल इंडस्ट्री अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है. फिलहाल कोविड-19 की रफ्तार थम रही है. ऐसे में उत्तराखंड के होटलियर्स को भविष्य से किस तरह की उम्मीदें हैं. आइए जानते हैं.

hotel industry
होटल इंडस्ट्री को मरहम की जरूरत

By

Published : Jun 24, 2021, 7:46 PM IST

देहरादून:देवभूमि उत्तराखंड में पर्यटन और होटल इंडस्ट्री प्रदेश की आर्थिकी में सबसे बड़ी भूमिका निभाते हैं. लेकिन साल 2020 में कोविड-19 आने के बाद प्रदेश में सबसे बड़ी मार इसी वर्ग को पड़ी है. होटल इंडस्ट्री प्रदेश की सबसे बड़ी इंडस्ट्री तो है ही साथ ही लाखों लोगों के रोजगार का जरिया भी है. प्रदेश के करीब 70 फीसदी रोजगार भी इस इंडस्ट्री के बंद होने की वजह से खत्म हो चुके हैं.

बता दें कि कोविड-19 के कारण पूरे देश में लगे लॉकडाउन ने पूरे देश में होटल व्यवसाय को तो प्रभावित किया ही है, प्रदेश में भी होटल व्यवसाय पूरी तरह ठप हो गया. बीच में कोविड मामलों के कम होने के बाद कुछ दिन में लगभग 28 से 30 फीसदी का व्यवसाय तो हुआ. लेकिन दूसरी लहर ने एक बार फिर से होटल व्यवसाय को झटका दिया.

घाटे में होटल इंडस्ट्री

ये भी पढ़ें: पहाड़ नहीं चढ़ पा रहा वैक्सीनेशन अभियान, लोगों को जागरूक नहीं कर पाया स्वास्थ्य विभाग

अन्य पड़ोसी राज्यों में बढ़ रहा है पर्यटन लेकिन उत्तराखंड में नहीं

उत्तराखंड होटल एसोसिएशन के उपाध्यक्ष और होटल मधुबन के स्वामी मनु कोचर ने बताया कि कोविड-19 के दौर में होटल व्यवसायियों की कमर टूट चुकी है. उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में सबसे बड़ा कारोबार आज बंद पड़ा है. उनका कहना है कि सरकार को प्रदेश की पॉलिसी को पड़ोसी राज्यों की तरह बनाना चाहिए ताकि होटल इंडस्ट्री एक बार फिर से पटरी पर लौट पाए.

उत्तराखंड में होटल इंडस्ट्री को मरहम की जरूरत.

ये भी पढ़ें: उत्तराखंड से गुजरात भेजे जाएंगे आदमखोर गुलदार, 20 साल में ले ली सैकड़ों की जान

होटल इंडस्ट्री को सरकार से राहत की दरकार

वहीं, दून वैली होटल एसोसिएशन के सचिव और होटल सरोवर पोर्टिको के चेयरमैन मोहम्मद इलियास ने बताया कि कोविड के पूरे दौर में होटल इंडस्ट्री बंद होने के बाद भी लगातार हर तरह के खर्चों के वहन के कारण होटल इंडस्ट्री घाटे में चली गई है. उनका कहना है कि कई सारे खर्चे ऐसे हैं जिनका इस्तेमाल न होने के बाद भी भुगतान करना पड़ता है. जैसे, हाउस टैक्स, बार लाइसेंस चार्ज और फिक्स इलेक्ट्रिसिटी चार्ज. होटल एसोसिएशन के पदाधिकारियों की सरकार से गुहार है कि वह कम से कम होटल व्यवसायियों की 3 मांगों पर अमल करें. जिसमें हाउस टैक्स में छूट, बार लाइसेंस फीस में छूट और फिक्स इलेक्ट्रिसिटी चार्ज में छूट दी जाए.

ये भी पढ़ें: खुशखबरी: अल्मोड़ा और श्रीनगर में भी NDA परीक्षा केंद्रों को मिली मंजूरी

उत्तराखंड पर्यटन के लिहाज से बेहद सुरक्षित

पर्यटन के लिहाज से उत्तराखंड की ओर पर्यटक आकर्षित होते रहते हैं. सामान्य दिनों में उत्तराखंड में पर्यटकों की आमद बहुत ज्यादा होती है. जिससे यहां पर्यटन और होटल व्यवसाय काफी समृद्ध रहता है. लेकिन कोविड के चलते प्रदेश सरकार ने पर्यटन को पूरी तरह से बंद कर दिया था. लेकिन एक बार फिर से सरकार द्वारा कुछ हद तक पर्यटकों को आवाजाही की अनुमति दी गई है. होटल रमाडा ग्रुप के CEO प्रकाश चंद जोशी का कहना है कि उत्तराखंड में सभी वर्ल्ड क्लास फैसिलिटी के होटल्स पूरी तरह से पर्यटकों के लिए तैयार हैं. जो कोविड के सभी मानकों का पालन करते हैं. उनका ये भी कहना है कि धीरे-धीरे पर्यटकों का रुझान उत्तराखंड की तरफ बढ़ रहा है.

ये भी पढ़ें: पुण्यतिथि पर नमन: विक्टोरिया क्रॉस दरबान सिंह ने अंग्रेजों से मांगी थी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन

देहरादून में लोकल गतिविधियों को खोलने की जरूरत

वहीं, होटल सॉलिटेयर के चेयरमैन ऋषि बंसल का कहना है कि उत्तराखंड में पर्यटन पर निर्भर होटल व्यवसायियों कि इस वक्त बुरी हालत है. तो वहीं इसके अलावा उन्होंने बताया कि देहरादून जैसे शहर में जहां पर होटलों में शादियां, पार्टी, कॉन्फ्रेंसेस इत्यादि होती थी वो भी पूरी तरह से बंद हैं. उन्होंने कहा कि इस तरह के होटलों को खोलने की जरूरत है, जहां पर व्यावसायिक गतिविधियां होती हैं और इनके मानक भी जगह के अनुरूप होने चाहिए.

यानी अगर किसी कैंपस में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए ज्यादा लोगों की व्यवस्था है तो उसे अनुमति देनी चाहिए. ताकि इस तरह के व्यावसायिक गतिविधियां लोकल स्तर पर संभव की जा सकें. साथ ही बड़े शहरों में होने वाले कार्यक्रमों को मानकों का पालन करते हुए अनुमति दी जानी चाहिए.

ABOUT THE AUTHOR

...view details