देहरादूनःउत्तराखंड की बर्फीली पहाड़ियों पर चढ़ने का ट्रेंड पिछले कुछ सालों में बेहद तेज गति से बढ़ा है. लेकिन हैरानी वाली बात ये है कि जितनी तेजी से उत्तराखंड की चोटियों को फतह करने के लिए पर्वतारोही पहुंच रहे हैं, उतनी ही तेज गति से उच्च हिमालयी क्षेत्रों के ग्लेशियरों में घटनाएं भी बढ़ी हैं. लिहाजा किसी बर्फीले ट्रैक पर चढ़ाई करने से पहले कुछ जानकारियां होना बेहद जरूरी है. या फिर ये कहें कि एक सख्त एडवेंचर पॉलिसी की जरूरत है.
एडवेंचर पॉलिसी की जरूरतःउत्तराखंड में एडवेंचर टूरिज्म को लगातार नया आयाम मिल रहा है. विदेशों से ही नहीं, बल्कि अब देश और आसपास के इलाकों के लोग भी एडवेंचर टूरिज्म में खासा रुचि दिखा रहे हैं. यही वजह है कि पिछले कुछ सालों में उत्तराखंड में ट्रेकिंग, माउंटेनियरिंग, स्कीइंग जैसी साहसिक गतिविधियों में काफी इजाफा देखने को मिला है. साहसिक खेलों को सरकार भी अपनी तरफ से खूब बढ़ावा दे रही है. लेकिन उच्च हिमालयी क्षेत्रों में घटती घटनाओं को देखते हुए सेफ्टी मेजरमेंट की जरूरत अब होने लगी है. लिहाजा सरकार को चाहिए कि साहसिक गतिविधियों को बढ़ाने से पहले सावधानियों पर ज्यादा ध्यान दिया जाए. उत्तराखंड में एडवेंचर टूरिज्म को लेकर अभी तक कोई ठोस नीति नहीं है ना ही कोई पॉलिसी है. यही वजह है कि पिछले कुछ समय में कई दुर्घटनाएं देखने को मिली हैं.
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