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कमर्शियल वाहनों के मुद्दे पर सिटी बस यूनियन और सरकार आमने-सामने, बताया- जन विरोधी फैसला

उत्तराखंड में 10 साल पुराने कमर्शियल वाहनों को बाहर करने के फैसले को सिटी बस एसोसिएशन से जुड़े लोगों ने जन विरोधी बताया है. उनका कहना है कि इस फैसले के बाद लाखों लोग बेरोजगार हो जाएंगे.

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Published : Nov 5, 2019, 5:41 PM IST

सिटी बस एसोसिएशन

देहरादूनःउत्तराखंड में 10 साल पुराने कमर्शियल वाहनों को सड़क से बाहर करने की कवायद की जा रही है. जिसे लेकर विरोध शुरू हो गया है. इसी कड़ी में सिटी बस एसोसिएशन से जुड़े लोगों ने काली पट्टी बांधकर इस फैसले का विरोध किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि यह फैसला पूरी तरह से जन विरोधी है.

कमर्शियल वाहनों के मुद्दे पर सिटी बस यूनियन से जुड़े लोगों ने काली पट्टी बांधकर जताया विरोध.

दरअसल, परिवहन विभाग की ओर से तैयार किए गए प्रस्ताव पर संभागीय परिवहन प्राधिकरण की बैठक में मुहर लगनी बाकी है. राजधानी देहरादून के साथ प्रदेश के अन्य जिलों की सड़कों से 10 साल पुराने कमर्शियल वाहन बाहर कर दिए जाएंगे, लेकिन परिवहन विभाग के इस फैसले के अमल में आने से पहले ही विरोध शुरू होने लगा है.

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मंगलवार को सिटी बस एसोसिएशन से जुड़े लोगों ने देहरादून के परेड ग्राउंड में 10 साल पुराने कमर्शियल वाहनों को हटाने के फैसले का काली पट्टी बांधकर विरोध किया. सिटी बस एसोसिएशन के अध्यक्ष विजयवर्धन डंडरियाल ने कहा कि इस फैसले के अमल में आने से प्रदेश के लाखों लोग बेरोजगार हो जाएंगे, जो पूरी तरह से जन विरोधी है.

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बता दें कि, राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण यानि एनजीटी ने साल दर साल बढ़ रहे प्रदूषण को देखते हुए 10 साल पुराने कमर्शियल वाहनों के संचालन पर रोक लगाने के निर्देश जारी किए हैं. जिसके बाद इस संबंध में प्रस्ताव तैयार कर संभागीय परिवहन प्राधिकरण को भेजा गया है.

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