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अंतरराष्ट्रीय मसाला एवं सब्जी महोत्सव में छाया चंपावत का अदरक, विदेशी भी हुए मुरीद - चंपावत की अदरक और हल्दी की धूम

अंतरराष्ट्रीय मसाला एवं सब्जी महोत्सव में चंपावत की अदरक और हल्दी की धूम रही है. लोगों ने जमकर खरीदारी की और जैविक अदरक का स्वाद लिया. चंपावत में किसान अदरक की खेती कर मुनाफा कमा रहे हैं. जिसके मुरीद विदेशी भी हैं.

Champawat ginger
अंतरराष्ट्रीय मसाला एवं सब्जी महोत्सव में चंपावत के अदरक

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Published : Nov 18, 2021, 8:22 PM IST

Updated : Nov 18, 2021, 10:09 PM IST

देहरादून/ऋषिकेशःउत्तराखंड में चंपावत का अदरक (Champawat ginger) बहुत ही बेहतरीन माना जाता है. यह अदरक आगराखाल और चकराताके अदरक से भी आगे हैं. इसके जायके की खुशबू विलायत तक जाती है और कद्रदान इसे बहुत पसंद करते हैं. मुनिकीरेती में आयोजित अंतरराष्ट्रीय मसाला एवं सब्जी महोत्सव में चंपावत के 1000 किसानों की ओर से पैदावार किए गए अदरक और हल्दी की धूम रही. जिसे लोगों ने खूब पसंद किया और जायका का स्वाद लिया.

अंतरराष्ट्रीय मसाला एवं सब्जी महोत्सव (international spices and vegetable festival) में राज्य समिति सहकारी विकास परियोजना के सीपीडी आर मीनाक्षी सुंदरम (R Meenakshi Sundaram) ने चंपावत सहकारिता विभाग की ओर से लगाए गए स्टॉल का भ्रमण किया. इस स्टॉल में 20 प्रकार के जैविक उत्पाद रखे गए थे. मीनाक्षी सुंदरम भी चंपावत के अदरक को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहे हैं. राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना ने चंपावत के 1000 किसानों को करीब ₹1 करोड़ की धनराशि देकर, उनसे अदरक पैदावार कराई है. इससे अदरक की काफी ज्यादा पैदावार हुई है.

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अदरक की खेती से किसान हो रहे आत्मनिर्भरःमाना जा रहा है कि यदि विपणन की थोड़ी समस्या दूर हो जाए तो चंपावत का अदरक किसानों को आर्थिक रूप से बहुत फायदा दे सकता है. वहीं, चंपावत के 1000 किसान समितियों के माध्यम से इसे बेच रहे हैं और लाभ भी कमा रहे हैं. जो हिस्सा यूकेसीडीपी से फंडिंग हुआ है, उसे किसाना जमा भी कर रहे हैं. जिससे अदरक की खेती (ginger cultivation) से किसानों का आत्मनिर्भर का सपना साकार हो रहा है.

उत्तराखंड का अदरक कई मायनों में खासःदरअसल, उत्तराखंडका अदरक (uttarakhand ginger) कई दवाओं के काम आता है. यह विशुद्ध रूप से जैविक अदरक है. 1 किलो अदरक के बीज से करीब 4 किलो खेती होती है. जबकि, बंगलुरु में 1 किलो अदरक से 15 किलो अदरक बनता है. जाहिर है महानगरों में दवा, खाद का असर होता है, जो 1 किलो से 4 किलो अदरक पैदा होता है. बंगलुरु का अदरक का वही रेट है, जो चंपावत के अदरक की. जैविक अदरक के बहुत फायदे हैं. खानपान में जैविक ज्यादा अहमियत रखता है.

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पहाड़ी जिलों में बनाया जाएगा अदरक कलस्टरःवहीं, सहकारिता मंत्री डॉ धन सिंह रावत (dhan singh rawat) का कहना है कि पहाड़ पर अदरक की बहुत संभावनाएं हैं. राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना सभी पहाड़ी जिलों में चंपावत जैसे अदरक के कलस्टर बनाएगी. उनका मानना है कि विशुद्ध रूप से पहाड़ में जैविक अदरक आर्थिक तरक्की कर सकता है. उन्होंने कहा सहकारिता विभाग किसानों की आमदनी 2022 में दोगुनी करने के उद्देश्य से अदरक के किसानों को प्रोत्साहित कर रहा है.

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Last Updated : Nov 18, 2021, 10:09 PM IST

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