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देहरादून-हरिद्वार में शत प्रतिशत बनेंगे ई-पशु आधार, फर्जी रिपोर्टिंग से मिलेगी मुक्ति - Government of India

राज्य में ई-वाउचर योजना के साथ शत प्रतिशत टैगिंग का काम भी देश में उत्तराखंड के 2 जिलों को मिला है. हरिद्वार और देहरादून जिले में गाय और भैंसों का ई-पशु आधार बनाया जा रहा है.

शत प्रतिशत बनेंगे ई-पशु आधार
शत प्रतिशत बनेंगे ई-पशु आधार

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Published : Apr 30, 2021, 10:56 AM IST

देहरादून: उत्तराखंड में ई-वाउचर योजना के बाद भारत सरकार ने हरिद्वार और देहरादून जिले को ई-पशु आधार की सौ प्रतिशत रिपोर्टिंग के लिए चयनित किया है. इसके तहत इन दो जिलों में शत प्रतिशत गाय और भैंस के कानों में टैगिंग की जाएगी, जिसके बाद इन दो जिलों में दुधारू पशुओं की पूरी रिकॉर्डिंग ऑनलाइन होगी.

80% पशुओं के टैगिंग का काम पूरा

उत्तराखंड पशुपालन विभाग के बेहतर प्रयासों का ही नतीजा है कि भारत सरकार की तरफ से चलाई जा रही, विभिन्न योजनाओं में राज्य को पूरी तरह से प्राथमिकता दी जा रही है. राज्य में ई-वाउचर योजना के साथ शत प्रतिशत टैगिंग का काम भी देश में उत्तराखंड के 2 जिलों को मिला है. हरिद्वार और देहरादून जिले में गाय और भैंसों का ई-पशु आधार बनाया जा रहा है. खास बात यह है कि योजना शुरू होने के कुछ समय में ही पशुपालन विभाग ने 80% पशुओं के टैगिंग का काम पूरा कर लिया है. आपको बता दें कि हरिद्वार और देहरादून जिले में भी यह संख्या 5 लाख से ज्यादा है.

गाय-भैंसों की होगी टैगिंग

उत्तराखंड को भारत सरकार की तरफ से लगातार पशुपालन विभाग से जुड़ी योजनाओं में प्राथमिकता देने की एक बड़ी वजह यह भी है कि हाल ही में राष्ट्रव्यापी कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम चलाया गया था, जिसमें हरिद्वार जिला देश में सबसे बेहतर कार्य करने में नंबर वन रहा था. इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए तमाम पायलट प्रोजेक्ट को उत्तराखंड के जिलों से ही शुरू किया जा रहा है. हालांकि, भारत सरकार की तरफ से उधम सिंह नगर और हरिद्वार जिले का चयन किया गया था, लेकिन सचिव के सुझाव के बाद उधम सिंह नगर के बजाय देहरादून जिले को जोड़ा गया और अब देहरादून और हरिद्वार जिले में टैगिंग का काम चल रहा है.

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दो जनपदों में टैगिंग योजना

इस योजना को राष्ट्रीय स्तर पर पायलट प्रोजेक्ट के रूप में देखा जा रहा है. हरिद्वार और देहरादून जिले में सभी गायों और भैंसों की टैगिंग के काम को पशुपालन विभाग जिस तरह से करेगा, उसकी पूरी रिपोर्ट भारत सरकार को भी जाएगी. इसके सफलता और अनुभवों के आधार पर देश भर के जिलों में टैगिंग के काम को आगे बढ़ाया जाएगा.

ई-पशु आधार के क्या होंगे फायदे ?

इंसानों के आधार की तरह ही गायों और भैंसों का यह आधार कार्ड काम करेगा. इस टैगिंग में गाय और भैंसों के कानों में बारकोड दर्ज किया जा रहा है. 12 अंकों के इस बारकोड को कोई भी चिकित्सक द्वारा स्कैन करने के बाद पशु के इलाज से लेकर उसके वैक्सीन और गर्भाधान से जुड़े कामों को पूरा किया जाएगा. इसके बाद पशुपालन विभाग के पास पूरी जानकारी होगी कि किस पशु को कब वैक्सीन लगाई गई और किस दुधारू पशु के गर्भाधान का कब समय होगा.

पशुओं की फर्जी रिपोर्टिंग पर लगेगी रोक

जिस पशु के वैक्सीन नहीं लगेगी, उसका मैसेज खुद-ब-खुद पशुपालन विभाग को पहुंच जाएगा. इस तरह हर दुधारू पशु की हर जानकारी पशुपालन विभाग के कंप्यूटर पर मौजूद होगी. पशुपाल विभाग के चिकित्सक बारकोड स्कैन करने के बाद पशुओं के मेडिकल कार्य को पूरा करेंगे. इस तरह पशुओं की फर्जी रिपोर्टिंग का काम पूरी तरह से बंद हो जाएगा.

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