देहरादूनःजीने का जज्बा और जिंदादिली क्या होती है यह कोई उत्तराखण्ड फॉरेस्ट फोर्स की रेस्क्यू टीम के सदस्य रवि जोशी से सीखे. रवि की कहानी आज आपको बतानी इसलिए भी जरूरी है क्योंकि, वर्ल्ड कैंसर डे पर शायद ही इससे अच्छी कोई मिसाल पेश करने लायक हो. दरअसल, रवि खुद कैंसर से जूझ रहा है, लेकिन रवि बेजुबान जानवरों का जीवनदाता है.
रवि अब तक न जाने कितने सांप, बंदर, टाइगर लेपर्ड के अलावा परिंदों की मुसीबत में फंसी जिंदगी को आजाद कर चुका है. रवि अक्सर बेजुबान मुसीबत में फंसे जानवरों को रेस्क्यू कर उनको दोबारा जीवन देने में लगा रहता हैं और इसी में उनको सुकून भी मिलता है भले ही खुद कैंसर से जूझ रहा हैं.
इस वक्त रवि मुंबई के एक अस्पताल में भर्ती हैं, लेकिन वह जिंदगी की कीमत बहुत अच्छे से समझते हैं और शायद यही वजह है कि वह मुसीबत में फंसे हर बेजुबान को जिंदगी देने का काम करते हैं. रवि ने कभी अपने जीवन में पान, जर्दा, तंबाकू गुटका को हाथ तक नहीं लगाया है लेकिन फिर भी उसे मुंह का कैंसर है हालांकि एक बार सर्जरी कराने के बाद कैंसर ठीक भी हुआ था , लेकिन एक बार फिर से कैंसर ने रवि को घेर लिया.
इन हालातों के बाद भी रवि जिंदादिली से कैंसर के साथ जीते हैं और खुलकर कैंसर पर बात भी करते हैं. अब रवि की एक बार फिर से सर्जरी होनी है और जितनी जिंदगी रवि ने आज तक बचाई हैं उनकी दुआओं का असर रवि के इलाज में जरूर होगा.रवि से जब हमने उनके इस काम के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा की उन्हें इस काम से तसल्ली मिलती है. रवि का कहना है कि जिंदगी की कीमत उनसे बेहतर शायद ही कोई समझता है.