देहरादून: उत्तराखंड में कांग्रेस में शामिल होने से पहले ही हरक सिंह रावत को पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखाकर न केवल संगठन में 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया बल्कि तुरंत कैबिनेट से भी हटा दिया गया. हालांकि, बाद में हरक यही कहते रहे कि बीजेपी ने इधर-उधर की बातें सुनकर यह निर्णय लिया है लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि पार्टी हरक सिंह रावत की मंशा समझ गई थी. बीजेपी ये जान गई थी कि हरक सिंह रावत पार्टी को धोखा दें इससे पहले ही उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया जाए.
उत्तराखंड में इस कदम से बीजेपी ने न केवल उत्तराखंड में बागी नेताओं को कड़ा संदेश दिया है बल्कि उत्तर प्रदेश में भी इशारा दे दिया है कि अगर किसी ने भी ऐसा किया तो पार्टी कोई बड़ा निर्णय लेने से भी नहीं रुकेगी. उत्तराखंड में हरक सिंह रावत उन नेताओं में से एक हैं जिन्होंने 5 सालों में सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरी हैं. पिछले दो सालों से इस बात की चर्चा थी कि हरक सिंह रावत कभी भी कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं. वो बात अलग है कि कभी हरीश रावत तो कभी पार्टी के दूसरे नेता अपनी शर्तों पर बागी नेताओं को पार्टी में शामिल करने पर टिप्पणी करते रहे हैं, लेकिन इन सबके बीच बार-बार ऐसा मौका आया जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हों, पार्टी के अध्यक्ष रहते हुए अमित शाह और अब जेपी नड्डा सहित तमाम केंद्रीय मंत्री जब भी देहरादून आए उन्होंने बीजेपी के अपने नेताओं से ज्यादा हरक सिंह रावत को तवज्जो दी.
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