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2017 के चुनावी घोषणा पत्र के वादों को भूली बीजेपी, अधूरा रहा 'संकल्प' - BJPs unfulfilled promises in 2017

इस बार भी लोगों को खुश करने के लिए राजनीतिक दल घोषणा पत्र पर काम कर रहे हैं. इसी बीच आज हमने पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा के घोषणा पत्र की समीक्षा की. जिसमें आधे से ज्यादा वादे बीजेपी पूरे नहीं कर पाई है.

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2017 के चुनावी घोषणा पत्र के वादों को भूली बीजेपी

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Published : Dec 25, 2021, 9:36 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में होने जा रहे हैं विधानसभा चुनाव 2022 के लिए अब एक बार फिर से राजनीतिक दल जनता तमाम तरह के दावे कर रहे हैं. सभी विधानसभा चुनाव को लेकर घोषणा पत्र तैयार कर रहे हैं, मगर उन वादों और दावों का क्या जो पिछले चुनाव से पहले सत्ता में आने वाली बीजेपी ने किये थे? चलिए आइए नजर डालते हैं भाजपा के कुछ पुराने संकल्पों पर...

साल 2017 के विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और भाजपा ने जनता को लोक लुभावने सपने दिखाए थे. तब बीजेपी ने घोषणा पत्र में युवा, रोजगार, पलायन जैसे अहम मुद्दों को तरजीह दी थी. मेनफेस्टों में कहा गया था कि अगर भाजपा की सरकार आई तो रिक्त पदों पर 6 माह में भर्तियां की जाएंगी. भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए सौ दिन में खंडूड़ी का लोकायुक्त एक्ट लागू करने की बात भी कही गई थी. साल 2019 तक हर गांव में सड़क की भी बात कही गई थी. साल 2017 में बीजेपी के किये गये वादे आज तक पूरे नहीं हो पाये हैं.

2017 के चुनावी घोषणा पत्र के वादों को भूली बीजेपी

साल 2017 बीजेपी के घोषणा पत्र की खास बातें

  • बीजेपी ने विजन डाक्यूमेंट 2017 के रूप में अपना घोषणा पत्र जारी किया था.
  • इस घोषणा पत्र में भाजपा ने युवा, रोजगार, पलायन जैसे अहम मुद्दों को तरजीह दी थी.
  • मेनफेस्टों में कहा गया अगर भाजपा की सरकार आई तो रिक्त पदों पर 6 माह में भर्तियां की जाएंगी.
  • भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए सौ दिन में खंडूड़ी का लोकायुक्त एक्ट लागू होगा.
  • साल 2019 तक हर गांव में सड़क होगी.
  • मेधावी छात्रों को लैपटॉप और स्मार्टफोन दिए जाएंगे.
  • सेवारत अतिथि व संविदा शिक्षकों व कर्मचारियों को भी उचित वेतन और पेंशन की व्यवस्था होगी.
  • 24 घंटे बिजली-पानी की सप्लाई होगी.
  • विवि को फ्री वाई-फाई की सुविधा.
  • गढ़वाल और कुमाऊं दोनों ही रीजन में अस्पताल और हेल्थ सेंटर खोले जाएंगे.
  • गरीबी रेखा से नीचे जी रहे लोगों के विशेष हेल्थ कार्ड मुहैया कराए जाएंगे.
  • किसानों को आर्गेनिक खेती के लिए खास तौर पर लोन दिए जाएंगे.
    अधूरा रहा 'संकल्प'

वादे जो हैं अधूरेभारतीय जनता पार्टी के दृष्टि पत्र को व्यापक बनाया गया था. इस व्यापकता में ज्यादा से ज्यादा फायदे और घोषणाओं को शामिल भी किया गया था. हालांकि चुनाव परिणाम आने के बाद जनता की इन वायदों को पूरा होने की उम्मीदें भी बढ़ गई थी. ऐसा इसलिए क्योंकि प्रदेश में पहली बार किसी सरकार ने इस हद तक प्रचंड बहुमत पाया था. ऊपर से केंद्र में भी भाजपा की सरकार होने का फायदा उत्तराखंड सरकार के लिए था.

भाजपा के दृष्टि पत्र में पहले पन्ने के बड़े दावों की बात करें तो भाजपा ने 100 दिन में भ्रष्टाचार पर कड़ी लगाम लगाते हुए लोकायुक्त की नियुक्ति की बात कही थी. मगर पांच साल बाद पूरे होने पर भी इस पर कोई काम नहीं हुआ है. इसके अलावा प्रदेश में रोजगार को लेकर 6 महीने के अंदर सारे बैकलॉग को भरने की बात की गई थी. अब सरकार के आखिरी समय में सरकारी भर्तियों को लेकर कुछ तेजी देखने को मिली है. वहींं, इसके अलावा किसानों से जुड़े मुद्दे और तमाम तरह के ऐसे वादे भाजपा ने अपने दृष्टि पत्र में किए थे जो कि आज तक पूरे नहीं हो पाए हैं.

अधूरा रहा 'संकल्प'

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वहीं, जब इस मामले में भाजपा प्रवक्ता से बात की गई तो उन्होंने कहा उनकी सरकार ने अपने दृष्टि पत्र में से 80 फीसदी काम पूरे कर दिए हैं. केवल 20 फीसदी ही काम प्रदेश में बचे हैं. उन्होंने कहा बचे हुए कामों पर काम किया जा रहा है. जिसे चुनाव से पहले पूरा कर लिया जाएगा.

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वहीं, मामले में कांग्रेस का कहना है कि भाजपा का घोषणा पत्र केवल एक जुमला मात्र है. पिछले 5 सालों में भाजपा ने प्रदेश में अपने स्तर पर कुछ भी कार्य नहीं किया है. केवल केंद्र सरकार के कार्यों का गुणगान ही प्रदेश सरकार ने किया है.

अधूरा रहा 'संकल्प'

भाजपा की गढ़वाल मीडिया प्रभारी गरिमा दसौनी ने कहा कि भाजपा ने इन 5 सालों में केवल मुख्यमंत्री बदले हैं. यह इस सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि है. इसके अलावा घोषणापत्र को अगर उठाकर देखा जाये तो पहले पन्ने के 5 बड़े वादों को भाजपा ने छुआ भी नहीं है.

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