बीरोंखाल को जिला बनाने की उठी मांग पौड़ीःबीरोंखाल को जिला बनाने की मांग तूल पकड़ने लगी है. इसी कड़ी में बीरोंखाल जिला निर्माण एवं जन विकास समिति ने सरकार से बीरोंखाल को जिला घोषित करने की मांग उठाई. साथ ही चेतावनी दी है कि अगर बीरोंखाल को जिला घोषित नहीं किया जाता है तो वो आगामी चुनावों का बहिष्कार करेंगे.
बीरोंखाल जिला निर्माण एवं जन विकास समिति के सदस्यों का कहना है कि पौड़ी के दूरस्थ रिखणीखाल, नैनीडांडा, बीरोंखाल, पोखड़ा और थैलीसैंण पांचों विकासखंडों को मिलाकर पृथक जिला बनाने की मांग लगातार उठाई जा रही है. यह मांग क्षेत्रीय जनता साल 1997 से उठा रही है. क्योंकि, यह क्षेत्र जिला मुख्यालय पौड़ी से काफी दूर है.
ये भी पढ़ेंःफिर बाहर निकला नए जिलों का जिन्न, स्पीकर ने बताई 4 डिस्ट्रिक्ट की जरूरत
यहां के दूरस्थ गांव पौड़ी जिला मुख्यालय से करीब 200 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं. समिति के संस्थापक और संयोजक पीएस बिष्ट का कहना है कि यह क्षेत्र आज भी विकास से कोसों दूर है. सरकार की ओर से लगातार इस क्षेत्र की अनदेखी की जाती रही है. इस क्षेत्र के विकास के लिए कई बार मुख्यमंत्री, सांसद और विधायकों से आग्रह किया गया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.
बीरोंखाल ब्लॉक को जिला बनाने की मांग उन्होंने कहा कि क्षेत्र में पांच विकासखंड हैं. इन विकासखंडों का मध्यवर्ती केंद्रीय स्थान बीरोंखाल है, इसलिए इस क्षेत्र को जिला घोषित किए जाने को लेकर तमाम समितियों के ओर से प्रस्ताव भी पारित कर दिए गए हैं. उन्होंने सरकार को चेताया कि यदि इस क्षेत्र को जिला घोषित नहीं किया जाता है तो स्थानीय जनता जनप्रतिनिधियों का बहिष्कार करेंगे. साथ ही आने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव और लोकसभा चुनावों का भी बहिष्कार करेंगे.
उत्तराखंड में चार नए जिले बनाने की घोषणा अब तक नहीं हुई पूरीः गौर हो कि लंबे समय से उत्तराखंड में नए जिले बनाने की मांग लगातार उठती आ रही है. तत्कालीन निशंक सरकार ने 15 अगस्त 2011 में यमुनोत्री, रानीखेत, डीडीहाट और कोटद्वार को जिला बनाने की घोषणा की गई थी. चुनावी साल में यह घोषणा की गई थी. लिहाजा, आनन फानन में शासनादेश भी जारी कर दिया गया था, लेकिन गजट नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया.
नतीजा ये रहा कि जीओ जारी होने के बाद भी अभी तक चारों जिले अस्तित्व में नहीं आ पाए. साल 2011 में तत्कालीन मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने गढ़वाल मंडल में 2 जिले (कोटद्वार, यमुनोत्री) और कुमाऊं मंडल में 2 जिले (रानीखेत, डीडीहाट) बनाने की बात कही थी, लेकिन उनके मुख्यमंत्री पद से हटते ही यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया.
ये भी पढ़ेंःCM धामी की घोषणा से फिर गरमाया नए जिलों का मुद्दा, कब शुरू हुआ मामला, जानिए सब कुछ
इसके बाद विजय बहुगुणा की सरकार ने इस मामले को राजस्व परिषद की अध्यक्षता में नई प्रशासनिक इकाइयों के गठन संबंधी आयोग के हवाले कर दिया, लेकिन साल 2016 में मुख्यमंत्री बदलने के बाद हरीश रावत सत्ता पर काबिज हुए. उन्होंने एक बार फिर 8 नए जिले बनाने की कवायद कर सियासी दांव खेला. जिसके तहत 8 जिले (डीडीहाट, रानीखेत, रामनगर, काशीपुर, कोटद्वार, यमुनोत्री, रुड़की, ऋषिकेश) को बनाने का खाका भी तैयार कर लिया गया था.
वहीं, हरीश रावत के शासनकाल में सरकार ने जनवरी 2017 में नए जिलों के गठन के लिए 1 हजार करोड़ की धनराशि से कॉर्पस फंड बनाने का फैसला तक कर दिया था, लेकिन मार्च 2017 में सत्ता पर काबिज हुई त्रिवेंद्र सरकार ने इस दिशा में कोई कदम आगे नहीं बढ़ाया. लिहाजा, सरकार ने नए जिलों के गठन का पूरा मामला जिला पुनर्गठन आयोग पर छोड़ दिया. वहीं, स्पीकर ऋतु खंडूड़ी ने भी कोटद्वार जिला बनाने की मांग रखी है.
ये भी पढ़ेंःपुरोला को पृथक जिला बनाने की मांग तेज, ढोल-नगाड़ों के साथ सड़क पर उतरे लोग