देहरादून: अटल आयुष्मान योजना के तहत बनने वाले गोल्डन कार्ड से लोगों को अपना इलाज कराने में राहत मिलती थी, लेकिन बीती 23 मार्च से हुए लॉकडाउन के बाद से अभी तक प्रदेश में गोल्डन कार्ड की प्रक्रिया अधर में लटकी हुई है. जिसकी वजह से सूची में आने के बावजूद लाभार्थियों का कार्ड नहीं बन पा रहा है.
कोरोना काल की वजह से करीब 6 महीने से लाभार्थियों के गोल्डन कार्ड नहीं बन पा रहे हैं. वर्तमान में करीब तीन लाख कर्मचारी और पेंशनर भी गोल्डन कार्ड का इंतजार कर रहे हैं. वहीं, करीब 15 लाख गोल्डन कार्ड कर्मचारियों और पेंशनरों के आश्रितों के बनाए जाने हैं. बता दें कि राज्य अटल आयुष्मान योजना में पात्र व्यक्तियों के वर्तमान में गोल्डन कार्ड बीते लॉकडाउन से अभी तक नहीं बन पाने से लोग परेशान हैं.
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बात अगर पूरे उत्तराखंड की करें तो प्रदेश में करीब 30 लाख ऐसे लाभार्थी हैं, जिनका अभी तक गोल्डन कार्ड नहीं बन पाया हैं. वहीं, अभी तक राज्य में स्वास्थ्य प्राधिकरण की ओर से 39 लाख लाभार्थियों के ही गोल्डन कार्ड बनाए गए हैं. इसमें 99 प्रतिशत लाभार्थियों के कार्ड आधार कार्ड से लिंक है. पिछले दो सालों में सरकार ने प्रदेश के करीब 2.60 लाख से अधिक मरीजों के इलाज पर 192 करोड़ की धनराशि खर्च की है.
गौरतलब है कि 25 दिसबंर 2018 को प्रदेश में 'अटल आयुष्मान उत्तराखण्ड योजना' का शुभारम्भ किया गया था. इस योजना के तहत प्रदेश में 1 करोड़ 10 लाख लोगों के गोल्डन कार्ड बनाने का लक्ष्य रखा गया था. योजना का मुख्य उद्देश्य प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रों तक लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना है.