देहरादून: उत्तराखंड में कर्मचारी संगठनों के बीच इन दिनों तलवारें खिंच गई हैं. इसका शोर मुख्यमंत्री दरबार तक भी पहुंच रहा है. मामला रिटायर हो चुके कर्मचारियों के संगठनों के पदों पर जमे रहने से जुड़ा है. जिस पर सचिवालय संघ के अध्यक्ष ने सीधी जंग लड़ने का ऐलान कर दिया है. हालांकि, इस विवाद की वजह अधिकारी कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति बनी है. जिस पर सचिवालय संघ और बाकी संगठन अपना अपना वर्चस्व बनाए रखना चाहते हैं.
उत्तराखंड में कर्मचारी संगठन सरकार से दो-दो हाथ करते दिखाई देते हैं, लेकिन इस बार लड़ाई अंदरूनी और आपसी है. स्थिति यह है कि सचिवालय संघ ने बाकी संगठनों को चेतावनी तक दे डाली है. जबकि संयुक्त कर्मचारी मंच और मिनिस्ट्रियल समेत तमाम संगठन भी इस जंग में दो-दो हाथ करने को तैयार हैं.
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मामला अधिकारी-कर्मचारी समन्वय समिति में वर्चस्व को लेकर शुरू हुआ. दरअसल, सचिवालय संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी ने कर्मचारियों की मांगों को लेकर बनाई गई समन्वय समिति समेत तमाम संगठन और महासंघ में सेवानिवृत्त हो चुके कर्मचारियों को पदों में नहीं रहने का अधिकार होने से जुड़ी बात कही. इस पर समन्वय समिति में कुछ पदाधिकारियों ने उत्तराखंड सचिवालय संघ को ही इस समिति से बाहर करने की अनौपचारिक बात कह दी. बस फिर क्या था उत्तराखंड सचिवालय संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी ने ऐसे संगठनों के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए कार्मिक विभाग के उस नियम की याद दिला दी जिसमें सेवानिवृत्त कर्मचारी किसी भी मान्यता प्राप्त संगठन में पदाधिकारी नहीं रह सकता. हालांकि, इस नियम के बावजूद भी प्रदेश में कई संगठन सेवानिवृत्त पदाधिकारी ही चला रहे हैं.