देहरादून:उत्तराखंड में साल 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक समीकरणों में कई बदलाव देखे जा रहे हैं. उत्तराखंड के कई वरिष्ठ नेताओं के सुर इन दिनों बदले-बदले से नजर आ रहे हैं. जिसके चलते राजनीतिक गलियारों में हलचल शुरू हो गई है. दरअसल, इन दिनों प्रदेश के तीन वरिष्ठ नेता चर्चाओं में हैं. जिसमें, कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज और विधायक उमेश शर्मा काऊ शामिल हैं. पूर्व कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य की घर वापसी के बाद से ही इन तीनों नेताओं के सुर बदले से नजर आ रहे हैं. आखिर इसके पीछे की क्या वजह है आइये आपको बताते हैं.
दरअसल, चुनाव से पहले अक्सर दल-बदल देखा जाता है. उत्तराखंड में भी पूर्व कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य की घर वापसी के बाद से ही राजनीतिक गलियारों में दल-बदल की चर्चाओं का बाजार गर्म है. वहीं, बीते दिन कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के माफी मांगने के बाद ये चर्चाएं और ज्यादा बढ़ गई हैं. हरक सिंह रावत के बदले सुर जहां बीजेपी की परेशानियां बढ़ा रहे हैं, वहीं, कांग्रेस के लिए ये इस मुश्किल वक्त में राहत की बात है.
पढ़ें-हर्षिल-छितकुल के लखमा पास से ITBP ने बरामद किए दो और शव, खराब मौसम के चलते रेस्क्यू रुका
हरक सिंह की माफी के बाद एक बार फिर से उनके कांग्रेस में जाने की खबरें आम हो गई हैं. इसके साथ ही बीजेपी में उनके बगावती तेवरों को भी हवा दी जा रही है. वहीं, शुरू से ही खफा रहने वाले सतपाल महाराज भी लंबे समय से कांग्रेस के लिए सॉफ्ट नजर आ रहे हैं. यही नहीं, विधायक उमेश शर्मा काऊ की बयानबाजी से तो हर कोई वाकिफ है.
पढ़ें-हिमालय में लापता 11 पर्वतारोहियों के लिए सर्च अभियान जारी, एयरफोर्स चला रहा ऑपरेशन
ऐसे में इन तीनों नेताओं के कांग्रेस के प्रति बदले सुर की वजह से चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है. चुनाव से महज कुछ महीने पहले ही नेताओं का सुर बदलना कई सारे सवाल खड़े करता है. जिसमें मुख्य रूप से यशपाल आर्य के जाने के बाद से ही चर्चाएं चल रही थी कि तमाम कांग्रेस गोत्र के नेता घर वापसी कर सकते हैं. ऐसे में नेताओं के सुर बदलने पर इन चर्चाओं को और ज्यादा बल मिल रहा है. अगर चुनाव से पहले ऐसा होता है तो भाजपा संगठन के लिए यह एक और बड़ा झटका होगा.
क्यों नाराज हैं हरक और सतपाल:सतपाल महाराज और हरक सिंह रावत वरिष्ठता के आधार पर पहले दिन से ही खुद को मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में शुमार कर रहे थे. साल 2017 में इन्हें मौका नहीं मिला. बीजेपी ने अपने पुराने नेता त्रिवेंद्र सिंह रावत को सत्ता की कमान सौंपी. चुनाव से ठीक पहले उन्हें हटाकर तीरथ सिंह रावत को सीएम बनाया गया. इसके 3 महीने के बाद जुलाई में बीजेपी ने युवा चेहरे के तौर पर पुष्कर सिंह धामी को सरकार की कमान सौंपी. जिससे इन दोनों नेताओं की नाराजगी और बढ़ी.