देहरादून:कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा की अध्यक्षता में सचिवालय में वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली सभागार में पशुपालन, डेरी, मत्स्य विभाग के अधिकारियों एवं पशुपालकों के साथ उनकी आय वृद्धि और रोजगार सृजन के उद्देश्य से बैठक का आयोजन किया गया. बैठक के बाद मंत्री बहुगुणा ने बताया कि देश के अन्य राज्यों में चल रही पशुओं से संबंधित लंपी स्किन डिजीज को देखते हुए उत्तराखंड में अलर्ट जारी किया गया है. हालांकि अभी यहां पर ऐसा कोई केस नहीं आया है.
क्या है लम्पी डिजीज:लम्पी डिजीज पशुओं शुरुआती अवस्था में त्वचा पर चेचक, नाक बहना, तेज बुखार जैसे लक्षण नजर आते हैं. वायरस के कारण पशुओं को काफी तेजी बुखार आता है. बुखार आने के बाद उनकी शारीरिक क्षमता बहुत ज्यादा गिरने लगती है. इसके कुछ दिनों बाद पशुओं के शरीर पर चकत्ते दिखने लगते हैं. बताया जा रहा है कि लम्पी डिजीज संक्रमित गाय के संपर्क में आने से दूसरी गायों में फैलती है. यह रोग मक्खी, मच्छर या फिर जूं द्वारा खून चूसने के दौरान फैल सकती है. यही नहीं दूषित गाय के सीधे संपर्क में आने से भी फैल सकती है.
कार्यक्रम में सभी जनपदों के जनपद स्तरीय अधिकारियों भी ऑनलाइन माध्यम से बैठक में जुड़े. इस दौरान कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा ने सभी विभागों को 2025 से पहले अपने विभागों की कार्ययोजना के माध्यम से पशुपालकों के लिए ऐसी योजना बनाने का आह्वान किया, जिसके माध्यम से रोजगार के नए अवसर सृजित हों और उत्तराखंड का नाम पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका में हो सके.
पहली बार पशुओं के लिए भी जल्द शुरू होगी एंबुलेंस: उत्तराखंड में जल्द ही बीमार पशुओं का घर पर इलाज करने के लिए एंबुलेंस की सुविधा मिलेगी. इंसानों के संचालित 108 एंबुलेंस की तर्ज पर पहली बार राज्य में पशु चिकित्सा के लिए एंबुलेंस चलाई जाएगी. इसके लिए पहले चरण में 60 पशु चिकित्सा एंबुलेंस खरीदने के लिए सरकार ने प्रक्रिया शुरू कर दी है.
टोल फ्री नंबर पर कॉल करने से किसानों को घर पर ही बीमार पशु का इलाज कराने के लिए एंबुलेंस सेवा मिलेगी. पहले चरण में 60 पशु चिकित्सा एंबुलेंस खरीदने के लिए टेंडर प्रक्रिया चल रही है. सभी जिलों को ये एंबुलेंस दी जाएगी. प्रत्येक एंबुलेंस में दो पशु चिकित्सा डॉक्टर तैनात किया जाएगा.
प्रदेश में 323 पशु चिकित्सालय:उत्तराखंड में पशुओं के इलाज के लिए वर्तमान में 323 पशु चिकित्सालय संचालित हैं. इसके अलावा 770 पशु सेवा केंद्र, 682 कृत्रिम गर्भाधान केंद्र, चार पशु प्रजनन फार्म है. दुर्गम क्षेत्रों में बीमार पशुओं को समय पर इलाज न मिलने के कारण पशुपालकों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है.