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मंदी की मार झेल रहे ऑटो सेक्टर को लॉकडाउन ने 'रुलाया', उम्मीद में गुजर रहे दिन - ऑटोमोबाइल सेक्टर लेटेस्ट न्यूज

मंदी की मार झेल रहे ऑटो सेक्टर पर कोरोना और लॉकडाउन ने 'कोढ़ में खाज' का काम किया है. पिछले दो महीने से गाड़ियों की बिक्री नहीं होने से शोरूम संचालकों को अपने कर्मचारियों की तनख्वाह देना भी मुश्किल हो गया है. ऐसे में लॉकडाउन में छूट मिलने के बाद शोरूम संचालकों को उम्मीद की किरण नजर आई है.

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ऑटोमोबाइल सेक्टर पर लॉकडाउन की मार.

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Published : Jun 1, 2020, 4:15 PM IST

देहरादून : कोरोना वायरस के चलते देशभर में लगाए गए लॉकडाउन का असर छोटे-बड़े कारोबारियों और उद्योगों पर तो पड़ा ही है. साथ ही ऑटोमोबाइल सेक्टर भी इससे बुरी तरह प्रभावित हुआ है. पिछले डेढ़ साल से मंदी की मार झेल रहा भारतीय ऑटोमोबाइल सेक्टर साल 2020 में धड़ाम हो गया है, भारतीय ऑटोमोबाइल सेक्टर के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब 2 महीनों से ज्यादा वक्त तक वाहनों की बिक्री पूरी तरह शून्य रही.

ऑटोमोबाइल सेक्टर पर लॉकडाउन की मार.

केंद्र सरकार की नई गाइडलाइन के तहत अब ऑटोमोबाइल सेक्टर को संचालन की अनुमति मिल गई है, जिसके बाद देहरादून के कार शोरूम्स खुलने लगे हैं. लेकिन आर्थिक संकट से जूझ रहे लोग वाहन खरीदने के लिए इनकी तरफ रुख ही नहीं कर रहे हैं. ऐसे में शोरूम संचालकों का मानना है कि स्थिति इतनी जल्दी नहीं सुधरेगी.

वरिष्ठ स्तंभकार डॉ. सुशील कुमार सिंह की माने तो लॉकडाउन के इन ढाई महीनों के दौरान आधे से ज्यादा लोग अपनी निजी सेविंग से किसी तरह अपने घर का खर्च चला रहे हैं. जिसकी वजह से अब कई लोग जो पहले बैंक लोन के माध्यम से वाहन खरीदने की योजना बना रहे थे. उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर हो चुकी है. इस स्थिति में लोग कार या टू-व्हीलर पर पैसा लगाने से कतरा रहे हैं.

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ऑटोमोबाइल सेक्टर को 23 हजार करोड़ का नुकसान

राजधानी देहरादून स्थित एक कार शोरूम के जनरल मैनेजर आशीष देवड़ा का कहना है कि लॉकडाउन के इन ढाई महीनों में भारत के ऑटोमोबाइल सेक्टर को लगभग 23 हजार करोड़ का नुकसान हुआ है. लॉकडाउन में मिली ढील के बाद अब प्रतिदिन सिर्फ दो या तीन ग्राहक ही शोरूम का रुख कर रहे हैं. गाड़ियां भी वही बिक रही हैं, जिनकी बुकिंग लॉकडाउन से पहले की थी.

शोरूम के खर्चों को पूरा करना बड़ी चुनौती- शोरूम संचालक

आशीष देवड़ा ने बताया कि ऑटोमोबाइल सेक्टर जिस नुकसान से गुजर रहा है, उसे देखकर तो यही लगता है कि जल्द ही देश के ऑटोमोबाइल सेक्टर में लगभग 30 से 40% लोगों की नौकरियां चली जाएंगी. इसका मुख्य कारण यही है कि लॉकडाउन के दौरान बिना किसी कमाई के शोरूम संचालक अपने कर्मचारियों का वेतन, बिजली का बिल, शोरूम रेंट इत्यादि किसी तरह देते रहे, लेकिन अब इन सभी खर्चों को पूरा कर पाना कार शोरूम संचालकों के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुका है. ऐसे में कार शोरूम संचालकों के पास एक ही विकल्प बचता है कि वह अपने कर्मचारियों की संख्या में कटौती करे.

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बता दें, देहरादून शहर में लगभग 20-25 कार शोरूम हैं. इन सभी शोरूम के मैनेजर, ऑफिस स्टाफ, सेल्स स्टाफ और सिक्योरिटी स्टाफ को जोड़ा जाए तो एक कार शोरूम में कम से कम 30 से 40 लोगों का स्टाफ काम कर रहा है. राजधानी में ऑटोमोबाइल सेक्टर में काम कर रहे कर्मचारियों की कुल संख्या करीब एक हजार से ज्यादा है. इस बीच 25 मई से आरटीओ देहरादून में वाहनों का पंजीकरण दोबारा शुरू कर दिया गया है. जिन वाहनों का पंजीकरण किया जा रहा है. वो वही वाहन हैं, जिनका पंजीकरण मार्च माह में लॉकडाउन के चलते रुक गया था. आरटीओ देहरादून से मिली जानकारी के अनुसार पिछले 6 दिनों में आरटीओ देहरादून में 413 वाहनों का पंजीकरण किया गया है. इसमें 42 कार, 2 एंबुलेंस और 369 दोपहिया वाहन शामिल हैं.

लॉकडाउन में रियायत मिलने के बाद अब ऑटो सेक्टर का पहिया तो घूमने लगा है, लेकिन अभी ऑटो सेक्टर को ग्राहकों का इंतजार है. टू-व्हीलर और फोर व्हीलर दोनों में ही इक्का-दुक्का गाड़ी ही बुक हो रही हैं. पहले ही मंदी की मार झेल रहे ऑटो सेक्टर से जुड़े व्यवसायियों को उम्मीद है कि ऑटो सेक्टर जल्द ही अपनी पहले की रफ्तार पकड़ लेगा.

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