मसूरीः पर्यटन नगरी मसूरी में 400 साल से ज्यादा पुराना पंचांग संरक्षण के अभाव में क्षतिग्रस्त हो रहा था. जिसके बाद अब संस्कृति विभाग पंचांग के संरक्षण के लिए कार्य कर रहा है.
हिंदू रीति रिवाज में पंचांग का महत्वपूर्ण स्थान है. पंचांग की गणना के बिना हिंदू समाज में कोई भी शुभ काम शुरू नहीं किया जाता. ऐसा ही एक दुर्लभ पंचांग मसूरी में इतिहासकार गोपाल भारद्वाज के पास मौजूद है. दिवाकर नाम का यह हस्तलिखित पंचांग 1590 में लिखा गया है. 431 साल पुराना पंचांग संरक्षण के अभाव में अब करीब 122 पेज का ही रह गया है. लेकिन हाल ही में प्रदेश के संस्कृति विभाग ने पंचांग की सुध ली है और पंचांग को संरक्षित किया है.
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इतिहासकार गोपाल भारद्वाज ने बताया कि सैकड़ों साल पुराना पंचांग संरक्षण के अभाव में नष्ट हो रहा था. जिसके बाद उन्होंने शासन-प्रशासन से लेकर पुरातत्व विभाग और तत्कालीन राज्यपाल अजीज कुरैशी और डॉक्टर केके पॉल से पंचांग के संरक्षण के लिए गुहार लगाई थी. लेकिन कई सालों के बाद कुछ महीने पहले ही संस्कृति विभाग ने पंचांग की सुध ली है. विभाग इसके संरक्षण के लिए आगे आया और पंचांग को ठीक कराकर उन्हें सौंप दिया है. इतिहासकार गोपाल भारद्वाज ने इस पर प्रदेश सरकार व संस्कृति विभाग का धन्यवाद किया है.
क्या होता है पंचांग ?
सभी विषय या वस्तु के प्रमुख पांच अंग को पंचांग कहते हैं. भारतीय ज्योतिष शास्त्र के पांच अंगों की दैनिक जानकारी पंचांग में दी जाती है. ये अंग तिथि, वार, नक्षत्र, योग, करण हैं. सूर्य एवं चंद्र के अंतर से तिथि का निर्माण होता है.