चमोली:आज के दौर में भी विकास का ठिकाना ज्यादातर राजधानी और शहरों तक ही सीमित है. उत्तराखंड में आज भी सैंकड़ों गांव ऐसे हैं, जहां मुलभूत सुविधा के अभाव में लोग पलायन करने को मजबूर हैं. प्रदेश के कई गांव में आज भी सड़क नहीं है, तो कई गांव में क्षतिग्रस्त मार्ग को बनाने के लिए भी ग्रामीणों को सालों साल सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाना पड़ता है.
ऐसी ही तस्वीर इन दिनों बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग 07 पर लंगासू के पास देखने को मिल रही है. जहां ऑल वेदर रोड निर्माण कर रही एजेंसी एनएचआईडीसीएल की लापरवाही के कारण बीते एक माह से लंगासू-कांडा-मैखुरा मोटर मार्ग को बाधित है. इस मार्ग को खुलवाने को लेकर ग्रामीण अधिकारियों और लोक निर्माण विभाग के दफ्तरों के चक्कर काटकर थक चुके हैं.
जिसके बाद आज ग्रामीणों ने चंदा इकट्ठा कर सड़क खोलने का कार्य शुरू कर दिया. ग्रामीणों ने गांव में ही आपस में चंदा कर जेसीबी मशीन मंगवा कर सड़क खोलने में जुट गए. बता दे कि चमोली के लंगासू में आल वेदर सड़क कटिंग के दौरान कांड़ा मैखुरा को जोड़ने वाला मोटर मार्ग क्षतिग्रस्त हो गया था. उस दौरान एनएचआईडीसीएल के अधिकारियों ने क्षतिग्रस्त मार्ग को तत्काल ठीक करने का आश्वासन दिया था.
सरकारी सिस्टम को ग्रामीणों ने को दिखाया आईना ये भी पढ़ें:मॉनसून में कालसी चकराता मार्ग पर भूस्खलन का खतरा, रात में वाहनों के संचालन पर प्रतिबंध की मांग
वहीं, एक माह से ज्यादा का समय बीतता देख ग्रामीणों ने सड़क ठीक कराने की बात की तो एनएचआईडीसीएल ने बात लोक निर्माण विभाग के पाले में डाल दी. जिसके बाद सरकारी दफ्तरों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के कार्यालयों के चक्कर काटने को मजबूर हो गए. वहीं, जब इसका कोई हल नहीं निकला तो ग्रामीणों ने सिस्टम को आईना दिखाते हुए श्रमदान कर टूटी सड़क को ठीक करने का बीड़ा उठा लिया. ग्रामीणों का कहना हैं कि क्षतिग्रस्त सड़क से घास के लिए जाने वाली गांव की महिलाओं के लिए खतरा बना हुआ है.