देहरादून: जोशीमठ में भू-धंसाव का बीते काफी समय से कई संस्थाए अध्ययन कर रही हैं, लेकिन कोई अभी तक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सका है और न ही जोशीमठ में भू-धंसाव की असल वजह का पता चल सका है. हालांकि दो जनवरी के बाद से जैसे ही जोशीमठ में हालत बिगड़ने शुरू हुए तो सरकार में हड़कंप मच गया. आनन-फानन सरकारी तंत्र सक्रिय हुआ और सबसे पहले जिन घरों में दरारें आई थी, वहां से लोगों को सुरक्षित शिफ्ट किया गया.
वहीं अब सरकार पूरा प्रयास है कि जल्द से जल्द जोशीमठ में भू-धंसाव के राज का पता लगाया जाए. यही कारण है कि जोशीमठ में राज्य के सरकारी तंत्र के अलावा केंद्र की कई संस्थाएं भी स्टडी में लगी हुई हैं. आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने बताया कि वाडिया भूविज्ञान हिमालय संस्थान देहरादून की टीम जोशीमठ में भूगर्भीय हलचल पर नजर रखी है. वाडिया के वैज्ञानिक जियोलॉजिकल इन्वेस्टिगेशन और सिस्मिक ऑब्जर्वेशन का अध्ययन कर रही है. वहीं, एनजीआरआई यानी नेशनल ज्योग्राफिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट के एक्सपर्ट जोशीमठ में जियोफिजिकल एक्टिविटीज की स्टडी कर रही है, और इसके साथ ही वो हाइड्रोलॉजिकल मैप भी तैयार कर रहे हैं. जो कि सभी भूगर्भीय एलिमेंट को प्रदर्शित करेगा. इस प्रक्रिया से जोशीमठ शहर की धारण क्षमता सॉइल लेयर इत्यादि के बारे में जानकारी मिलेगी.
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दोनों के अलावा आईआईआरएस (इंडियन इंस्टीट्यूट आफ रिमोट सेंसिंग) के जरिए भी सैटेलाइट इमेज लेकर उनका अध्ययन किया जा रहा है. आपदा प्रभावित क्षेत्र पर सैटेलाइट से नजर रखी जा रही है. इसके जरिए बताया पता लगाया जा रहा है कि जोशीमठ में किस रफ्तार से भू-धंसाव हो रहा है. वहीं, जीएसआई (ज्योग्राफिकल सर्वे ऑफ इंडिया) जोशीमठ में जियोलॉजिकल स्टडी कर रहा है. ये संस्थान उन इलाका का भी अध्ययन कर रही है, जिन्हें पुनर्वास के लिए चिन्हित किया गया है. इसके अलावा जीएसआई को जोशीमठ और आसपास के इलाकों में एक हाय रेगुलेशन मैप तैयार करने के लिए कहा गया है, जोकि ज्यादा स्पष्ट होगा और उसमें चीजों को ज्यादा बेहतर तरीके से देखा जाए पाएगा.