चमोली: पर्यटन स्थल चोपता को भारत का मिनी स्विट्जरलैंड कहा जाता है. चोपता की सुंदर पहाड़ियों और बुग्यालों में बर्फबारी को देखने के लिए पर्यटक दीवाने रहते हैं. चोपता से 5 किलोमीटर आगे तृतीय केदार तुंगनाथ विराजमान हैं. लेकिन चोपता जाने वाले मोटर मार्ग का काम पूरा न होने के कारण पर्यटकों को चोपता और मोहनखाल की दूरी तय करने में काफी समय लग जाता है. इसके कारण कई बार पर्यटक समय कम होने के कारण यहां की सुंदर वादियों को देखने से वंचित रह जाते हैं. स्थानीय लोग बताते हैं कि अगर सरकारी महकमों में तालमेल होता तो आज तक पोखरी के मोहनखाल से चोपता जाने वाले मोटर मार्ग का काम पूरा हो चुका होता.
इस मोटर मार्ग के बनने से चोपता और मोहनखाल की दूरी कम होने के साथ ही कार्तिक स्वामी और तृतीय केदार तुंगनाथ मंदिर की दूरी भी कम हो जाती. पर्यटन तो बढ़ता ही साथ ही यहां के लोगों को रोजगार के अवसर भी मिलते. लेकिन सड़क में जनप्रतिनिधियों के द्वारा आगे पहल न होने के कारण चार दशक बीत जाने के बाद भी मोहनखाल-चोपता, तुंगनाथ मोटर मार्ग आधी-अधूरी कटिंग के बाद वन अधिनियम के चलते 17 किलोमीटर निर्माण के बाद रुका हुआ है.
स्थानीय निवासी ललित मोहन बताते हैं कि विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल चोपता को जाने के लिए रुद्रप्रयाग, उखीमठ, चमोली और गोपेश्वर होते हुए सड़क की सुविधा है. चोपता से तृतीय केदार तुंगनाथ जाने के लिए 5 किलोमीटर पैदल दूरी तय करनी पड़ती है. अगर ये सड़क चमोली और रुद्रप्रयाग की सीमा पर स्थित मोहनखाल से बन जाती तो महज 27 किलोमीटर की दूरी में ही चोपता पहुंच सकते थे. इससे तुंगनाथ जाने वाले लोगों का समय बच जाता और एक ही दिन में यात्री दोनों मंदिरों के दर्शन कर सकते थे.