देहरादून: चमोली जिले में खूबसूरत फूलों के संसार को शायद किसी की नजर लग गई है. फूलों की घाटी में पोलिगोनम की समस्या अभी खत्म भी नहीं हुई थी कि गोल्डन फर्न ने वन विभाग के अधिकारियों की चिंता को और भी ज्यादा बढ़ा दिया है. घाटी में दूर-दूर तक गोल्डन फर्न का पौधा फैल गया है. इससे घाटी में दूसरे फूलों के पौधों को खतरा पैदा होने की बात कही जा रही है. हालांकि कुछ विशेषज्ञ इसे प्राकृतिक रूप से सामान्य प्रक्रिया मान रहे हैं.
गोल्डन फर्न बना दुश्मन: विश्व धरोहर के रूप में संजोकर रखी गयी फूलों की घाटी का गोल्डन फर्न दुश्मन बना गया है. गोल्डन फर्न इस सूबसूरत घाटी में फूलों के हरे-भरे संसार को नष्ट कर रहा है. करीब आधा मीटर का यह पौधा (गोल्डन फर्न) अब फूलों की घाटी में तमाम खूबसूरत फूलों के लिए मुसीबत बताया जाने लगा है.
पढ़ें- फूलों की घाटी का पर्यटक कर रहे दीदार, सैलानियों के लिए कोरोना निगेटिव रिपोर्ट अनिवार्य
दरअसल, गोल्डन फर्न घाटी में अलग-अलग जगहों पर कई क्षेत्रों में अपने पांव पसार रहा है. यहां पर पिकनिक स्पॉट, पुष्पावती नदी के किनारे के क्षेत्रों, बामण धौड़ और मेरी की कब्र के चारों तरफ भी गोल्डन फर्न ने कब्जा कर लिया है. पिछले साल तक इन सब जगह में खूबसूरत फूल दिखाई देते थे, लेकिन अब यह नजारा बदल गया है.
इसलिए कहा जाता है गोल्डन फर्न:बताया जाता है कि जहां पर यह पौधा होता है, उसके आसपास फूल वाले पौधे नहीं पनप पाते. पिछले साल गोल्डन फर्न की पैदावार इतनी ज्यादा नहीं थी, लेकिन इस साल यह घाटी में दूर-दूर तक नजर आ रहा है. गोल्डन फर्न चौड़ी पत्ती और हल्के पीले रंग का होता है. बड़ी मात्रा में होने की वजह से यह दूर से गोल्डन कलर का नजर आता है और इसीलिए इसे गोल्डन फर्न कहा जाता है.
दुश्मन को खत्म करने लिए हर साल खर्च होते 5 लाख: विशेषज्ञ कहते हैं कि इस आधा मीटर के पौधे की पत्तियों से हल्के और बेहद बारीक बीज हवा के साथ इधर-उधर फैल जाते हैं, जिस कारण इसका धीरे-धीरे सभी जगह पर इसका प्रसार हो रहा है. इससे पहले इस घाटी में पोलिगोनम का भी काफी प्रसार हुआ था, जिस के उन्मूलन के लिए इस संरक्षित क्षेत्र में वन विभाग के अधिकारी काम कर रहे हैं. पोलिगोनम को खत्म करने के लिए हर साल करीब पांच लाख रुपए खर्च किए जा रहे हैं. जबकि अब गोल्डन फर्न के उन्मूलन के लिए भी प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है.
पढ़ें-फूलों की घाटी में खिला जापानी 'ब्लू पॉपी', देखने खिंचे चले आते हैं विदेशी सैलानी