चमोली: मनुष्य का जुड़ाव प्राचीनकाल से ही गुफाओं से रहा है. ऐसे ही आज हम आपको एक ऐसी प्रागैतिहासिक काल की गुफा से रूबरू कराने जा रहे हैं, जो चमोली के जिला मुख्यालय गोपेश्वर से करीब 12 किलोमीटर दूर डूंगरी गांव के पास है. इस पाषाण कालीन गुफा का नाम गोरख्या उडियार है. ये गुफा इन दिनों प्रदेश सरकार की अनदेखी की मार झेल रही है, जिसको लेकर स्थानीय लोगों में खासा रोष है.
दुनिया में कई दार्शनिक स्थान हैं, उनमें से एक है उत्तर भारत की गोरख्या उडियार गुफा. ये गुफा अलकनंदा नदी के तट से करीब 300 मीटर की खड़ी चट्टान के ऊपरी भाग में स्थित है. इस गुफा का दीदार करने लोग देश-विदेश से खिंचे चले आते हैं. गोपेश्वर से डूंगरी गांव तक गाड़ी से पहुंचने के बाद करीब डेढ़ किलोमीटर का सफर पैदल तय करना होता है तब जाकर इस गुफा का दीदार होता है. इस गुफा के चट्टानी भाग पर हिरण, शिकारी, बकरी और ऐसे ही अन्य जानवरों के चित्र लाल रंग से उकेरे गए हैं.
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